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पीरियड (रजस्वला)

चित्र
  छत के किनारे बैठी - बैठी मानवी सड़क पर बहती बरसाती नदी को देख रही थी, जो तेज बरसात में 2 घँटे के अंदर ही अंदर छलछलाती नदी में तब्दील हो जाती थी। और बरसात रुकने के 4 घँटे बाद ये नदी गायब हो जाती थी। आज मानवी को रसोईघर में नही जाना था, पूजा नहीं करनी थी क्योंकि आज सुबह उसके पीरियड शुरू हो गए थे। सासू माँ ने सुबह से घर में हाय - तौबा मचा रखी थी। क्योंकि वो महीने के सिर्फ इन 3 दिनों रसोई सम्हालती थी। मानवी इन 3 दिनों एक अजीब सा टॉर्चर सहती थी। आधी बार प्यासी रहती क्योंकि उसे बार - बार सासूमाँ से पानी मांगना अच्छा नहीं लगता था। आधी बार कुछ खाने की इच्छा होने पर भी भूखी रह जाती सोचती अगर मांगूंगी तो सासूमाँ मेरे बारे में क्या सोचेंगी। पूजा कर नहीं पाती तो मन विचलित रहता। कभी - कभी तो कोई बड़ा त्योहार ही इन तीन दिनों के बीच आ जाता और वो इन बड़े त्योहारों पर भी अलग - थलग पड़ी रहती। कोई उससे कुछ खास न पूछता न उसे उस पूजा या किसी और चीज में शामिल करता था। घर के सारे मर्दों, पास - पड़ौस, यहाँ तक कि रिश्तेदारों तक को उसके पीरियड में होने के बारे में पता चल जाता था। क्योंकि सासूमाँ जब भी किसी से मिलती