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जनवरी, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
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आँखों के कोरो में आयी नमी की बूंद और उस बूंदों में समाते हमारे उलझे रिश्तो की डोर  खुद में अपनापन समेटे खोखले रिश्ते ! रिश्तो की गरिमा जो मैं ढूंढने चली तो पाया कच्चे धागों में लिपटे कुछ नाजुक रिश्ते क्या ये रिश्ते इतने नाजुक होते है ? काँच की चूड़ी के जैसे रेत में उड़ गई बारिश की बूंदों के जैसे हम क्यों नहीं कर पाते है इसमे दोस्ती की मिलावट  क्योंकि जहाँ दोस्ती होती है ! वहाँ सुखी घास में भी नमी भरे बदलो की उम्मीद जाग ही जाती है ! रजनीगंधा सी ख़ुशी आ ही जाती है !  😊😊😊😊😊

कहानी बोकाजू और चुआंग-जू की

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एक कहनी सुनाती हूँ ! आज मुस्कुराएँगे जरूर आप सब मैं जानती हूँ बस एक यही कमी है आपकी और मेरी भी हम खुद के लिये जीना भूलते जा रहे है मुस्कुराना भूलते जा रहे है जीवन की दौड़ में तो हम आगे निकल गए लेकिन हमारी वो मुस्कुराहट कहीँ दब गयी है आइये उसे तलाश लाते है ! सदियों पुराना एक किस्सा हैं बोकाजू का , जो यूं तो अच्छे ख़ासे अक्लमंद थे , लेकिन उन्हें सुबह उठते ही ज़ोर से अपना नाम लेने की और फिर उतनी ही ज़ोर से 'यस सर' कहने की बड़ी अजीब आदत थी ! एक बार किसी ने पूछा ' ये क्या हरकत हुई भला , ख़ुद का नाम पुकारना और खुद ही हुंकारा भरना ?' बोकाजू मुस्कुराये , मैं कहीँ यह भूल न जाऊ कि मैं कौन हूँ , इसलिए मुझे खुद को रोज़ यह याद दिलाना पड़ता है कि मैं कौन हूँ !' एक कहानी और एक रात चुआंग-जू किसी गहरी गुत्थी को खोलने में उलझे थे अचानक उन्होंने ग़ौर किया कि ज्यादातर शागिर्द ऊंघ रहे है ! वे मन ही मन हँसे और एक कहानी शुरू की --- किसी यात्रा के दौरान पैसों की तंगी की वजह से एक आदमी ने अपना गधा हमराही को बेच दिया , लेकिन अपनी आदत के मुताबिक गधे की ओट मे सोना नहीं छोड़ा ! गधे के नए म

माँ तुम सा कोई नहीं

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     तुम देती थी हिदायते हज़ार  और मैं अनसुना कर जाती थी तुम छीपा जाती थी बाबा से मेरा लेट आना और मुझे बचा लेती थी डाँट पड़ने से मैंने न जाने कितनी बार तुम्हारा दिल दुखया फिर भी तुम मेरा साथ देती थी खुद कितना भी डाँट लो पर किसी और को कुछ कहने न देती थी आज तुम्हारी बातें याद करके मन भर आया जानती हो क्यों क्योंकि मैं भी आज वही सब करती हूँ जो तुम करती थी मेरे लिये सचमुच माँ  पर आज मैं तुम्हारी डाँट खाने के लिये बेचैन हुई जा रही हूँ तुम्हारे दर्द को जी रही हूँ माँ

गुलदस्ता गुलाबो का

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अच्छा सुनो कल फिर आओगे न गुलाबो का गुलदस्ता लेकर हा आऊँगा ! तुम भी कितनी भोली हो कुछ भी नहीं समझती हो क्या मतलब कुछ नहीं ! कहो प्लीज़ ये गुलाबो का गुलदस्ता तो सिर्फ एक बहाना है तुम्हारे करीब आने का ! तुम चाहो तो मैं सारी जिंदगी तुम्हारे लिये ये ला सकता हूँ  ! अच्छा ! मुझे भी तो इसी बात का इंतज़ार था ! कितनी देर लगा दी तुमने ये बात कहने में ! कल सिर्फ तुम आना ये गुलाबो का गुलदस्ता मत लाना क्यों ? क्योंकि मेरा गुलाबो का गुलदस्ता तो तुम खुद हो मुझे किसी और गुलदस्ते की जरुरत नहीं है ! क्या सचमुच हाँ सचमुच  !

जरूरी तो नहीं

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हर कहानी का कोई अंत हो ये जरूरी तो नहीं !    नर्म रिश्तो की रजाई में अब भी गर्माहट बची हो ये जरुरी तो नहीं ! खारा पानी सिर्फ समुन्दर में बस्ता हो ये जरूरी तो नहीं ! कुछ पानी आँखों में भी तो बस्ता है ! हर रिश्ते का कोई गहरा नाम हो ये जरूरी तो नहीं ! जिन्दगी की साँझ में भी अपनों के सुकून की चादर मिल ही जाये ये जरुरी तो नहीं ! हर बेगाना ग़ैर हो ये भी जरूरी तो नहीं ! कुछ बेगाने तो अपनों से भी बढ़कर होते है !

रजनी

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अपने ऑफिस में हैड रजनी सभी को आदेश देती और सब उसकी आज्ञा का पालन करते  उसे किसी से कुछ पूछना नहीं पड़ता था ! सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था बस इन दिनों वो थोड़ी ज्यादा थकान महसूस कर रही थी काम की वजह से इसलिए आज थोड़ी जल्दी घर आ गयी वो सोफे पर बैठी ही थी की डोरबेल बजी उसने उठ कर गेट खोला तो देखा एक सेल्समैन था जो वैक्यूम क्लीनर बेच रहा था ! रजनी ने उसे मना करने के लिहाज से कहा कि हमारे यहाँ पहले से वैक्यूम क्लीनर है और वो गेट बंद करने लगी लेकिन सेल्समैन ने विनम्र वीनती करते हुए कहा कि मैडम प्लीज़ ये देख लो बहुत अच्छा है ज्यादा महंगा भी नहीं है ! और बहुत अच्छी कम्पनी का भी है आप इसे कहीँ भी ले जा सकती है ये बहुत हल्का और छोटा भी है इतना निवेदन सुन कर रजनी ने कहा अच्छा चलो ठीक है !दिखाओ उसने दिखाना शुरू किया और एक एक कर उसकी सारी खुबिया बतायी रजनी को वैक्यूम क्लीनर काम का लगा और ज्यादा महँगा भी नहीं उसने उसे लेने के बारे में सोचा उसे इस तरह सोचता देख सेल्समैन ने कहा सिर्फ 5000 रू का है मैडम आप अपने पति से पूछ लो शायद आप के पास इतने पैसे नहीं होंगे ! अगर वो मना कर देंगे तो कोई बात

एक बूंद शहद की

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दिल के दरिया में बहकर            दिमाग के तारो में उलझकर गलती से मैने रिश्तों की धून्ध में उम्मीदों की तलाश की  तो मुझे हर रिश्ता खुद में उलझा गैरों की महफ़िल से एक बूंद शहद की चुराता मिला ! जो मैंने कड़क कर पूछा ये शहद की बूंद क्यों चुराई तुमने तो जबाब मिला खोखले रिश्तों के अकेलेपन में दम घुटता है !अब हमारा  क्या हुआ जो एक बूंद शहद की चुरा ली क्या तुम नहीं चुराती सबकी आँखों से नीर , होठों से मुस्कुराते शब्दों की तारीफ़े ये सुन मैं अवाक् थी ये सब तुमने कैसे जान लिया मुझे न जान कर भी ! 

कोशिश तो की मैंने

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लिखना नहीं आता मुझे फिर भी कोशिश तो की मैंने विचरना नहीं आता मुझे फिर भी रितुओ से बदलते विचारो मे उलझी मैं प्यार करना नहीं आता मुझे फिर भी प्यार कि ज्वाला में जली मैं अपनेपन का दिखावा करना नहीं आता मुझे फिर भी कुछ अपनों से ये भी सीखा मैने किस्मत पर यकीन नहीं मुझे फिर भी ग्रहो की चाल समझ हाथो में उभरी लकीरो में खुद को तलाशा मैंने खोखले रिति रिवाज़ो में यक़ीन नहीं मुझे फिर भी अपने बड़ो का मान रखा मैंने झूठ बोलना नहीं आता मुझे फिर भी झूठो की दुनियां में सच को परखा मैंने छलना नहीं आता मुझे फिर भी समझौते कि चादर में लिपटकर खुद को छला मैंने और फिर थक कर तकिये के सहारे आँखे मूंदकर सपनो में तलाशा तुझे मुझे वो अमावस का अँधेरा और उनींदा आसमान भी नज़र आया जहाँ एक अँधा फ़कीर खुद से बातें करता चल रहा था रात के अँधेरे में मैंने उससे कहा बाबा सुबह का इंतज़ार तो कर लेते तो उसने कहा रात दिन का फ़र्क तो आँख वालो का फैलाया भरम है मुझे रास्ता पार करने के लिए किसी सूरज की जरूरत नहीं की क्योंकि मेरे लिए दिन भी उतना ही स्याह है जितनी की रात इसलिए मैं अपना दिन अपनी रोशनी साथ लिए चलता हूँ        

व्यथा स्त्री मन की

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              यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही मै ब्याह दी गई और मेरे ब्याहता बनते ही मेरी खुशिया सीमित कर दी गई ये कहकर कि ये सब अब तुम्हे शोभा नहीं देता। पर मै चुप रही ये सोचकर की यही मेरी नियति है। तुम्हारी बिना सिर पैर की बातों को सुनकर भी मै विचलित नहीं हुई। तुम्हे खुश करने का प्रयास करती रही हर पल। ये सोचकर कि यही तो मेरा पत्नी धर्म है जो सबने मुझे समझाया है। तुमने मेरी भावनाओ का भी मज़ाक उड़ाया मेरी आँखों में नमी देखकर। तुमने मुझे हर उस पल रुलाया जब मैने तुमसे हमदर्दी की उम्मीद की। तुम्हारी नज़रो में मैं सिर्फ खाना बनाने वाली और तुम्हारे बच्चो को पैदा करने वाली हूँ। और समाज में एक अच्छी पत्नी वही होती है जो अपनी इच्छाओं को दबाकर अपने पति के पीछे पीछे चुपचाप चले और मुस्कुराती रहे। और अगर वो इन सबके विरुद्ध चले तो लोग उसे न जाने किस किस उपनामो से नवाज़ते है। तुम सबने मुझे इतना कमज़ोर न जाने कैसे समझ लिया। शायद मेरे हर बात में भावुक होकर रोने से, पर मैं कमजोर नहीं हूँ। बस मुझमे एक कमी हैं कि मैं किसी को भी रोता हुआ नहीं देख सकती हूँ। सबको साथ लेकर चलना चाहती हूँ। औरत हू

खुशबू तेरी बातों की

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 सोच की स्याही मे डूबे अक्षरो की खुशबू बिखरी... तेरी यादो की लहरो मे मै और मुस्कुराई☺☺☺ मेरी बातों मे तेरी बातों का अक्स यू मिला है.... जैसे रात ने सपनो मे सुबह से किया कोई वादा चुपके से निभाया हो........ पतंगों की डोर सी लहराती तेरी बातें मुझे बदलो के पार ले गई.... और मै इतराती चाँद तारों से ढेरो बातें कर आई.... तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो बिल्कुल मेरे जैसे हो..... ये कहकर अक्सर ही मैने अपना प्यार जताया है तुमसे...... तेरी बातों में अपनी फिक्र देखकर मैने हमेशा ही बहुत सुकून पाया है...☺☺☺ वो कोई और नहीं तुम ही हो हमेशा से और हमेशा तुम ही रहोगे !!! ☺☺☺                  क्या लेकर आये थे , क्या लेकर जाएंगे.......                   खाली हाथ आये थे , बंद मुट्ठी जायेंगे......                   बस दो मीठे बोल........................                   सदा के लिये यहाँ रह जाएंगे..........                   जैसे गुलाबो की खुशबू बिखरती है........                   बंद किताबो में भी.............                    इत्र की महक फैलती है.........                     बंद संदूकों

Betay kanha ke

Murjhai sham ke angan may tere yado kay alingan may may gumsum udas ho jab gye kanha se sekayat karne To kanha ne kaha yad unko karna chaheye jo tumko yad karte ho Parwah unke karne chaheye jo tumhari dil se ejat karta ho aur pyar unse karna chaheye jo tumhari kadar karta ho Aur dukhi unke leye hona chaheye jo tera sabsy jayada khayal rakhta ho Tumhare  jene ke wajah tum khud ho Aur jo her pal tumhay chahta h wo tum khud ho 

Kasmay wado may basa pyar

Ye kasmay wade pyar wafa Sab dil bahlane ke bate h Bato ka kya h tanha safar may yu he musafir milte h bechadte h Kuch yado ka etehas bante h to kuch pani ke bulbulo se hawa may ud jate h Waqt ke jo ude andhi to tera mera pyar  bhe ud gya befekare sa N tune koi wada kiya tha muzse n mene koi wada kiya tha tuzse Hum apne apne desao may bahte the magan se Fir bhe n Jane kyu her pal tere fekar hoti h N tu mere wajud ka hessa h n may tere wajud ka hessa hu N jane wo kisa waqt tha jo hum tum yu mile Aur fir bechad gye waqt ke gumnam galiyo may Fir bhe tu mere dil may basa h fejao may bahti hawao jisa sanso may basi khusbu jisa

Tass ke patto sa jewan

Ankho ke koro may kharay pani ka samundar umbra Wecharo may dukh ke gathari khuli aur humnay usmay tass ke patto sa jewan bekhara paya Khud ko bhule ja rahay the muskilo may padkar Khuseyo ke chabi hum bhul aye gairo ke bahkaway may akar Jab hos aya to khud ko tanha paya duneya ke bhid may Thokar laga aur hum sambhalay Fir wada kiya khud se Muskilo ke aandheyo may bhe n udnay ka n bekharnay ka Bharosay ke bares may kamal sa khelnay ka

Eljam

May bares may bhege ti apne ansuo ko daga dene ke leye May dhup may tapi ti khud ko saja dene ke leye Tum muz par kyu eljam lagate ho may to khud heyran ti tum par yakin karke Tum par aitbar karke

Godhuli bela ke parenaya shutra sa tu

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  Subah ke dawar par pahale Kiran sa tu Mandir may gunjati parathana ke dhun sa tu Sharadeyo may gond ke ladduo se ate mahak sa tu Najaro may basay khubsurat wadeyo sa tu Hotho par khelate madhu se shabdo sa tu Anguthi may jade here ke uphar sa tu Angan may baraste khuseyo ke remjhim fuhar sa tu Ankho may samai nind ke sukun sa tu Fullo ke wadeyo ka ankho may chura lane ka sukun sa tu Bareso may gulabo se chankar ati khusabu sa tu Mere jewan may chocolate coffee ke mithas sa tu Mere khuseyo ke mahal ka raja tu rani may

Tere chahat may

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Tere chahat may kabhi jeti hu kabhi marti hu aur kabhi tuze bhulne ke nakam kosis karti hu Tu mere duao may hamesa shamil rahta h Ese jise sagar may pani Tu mere ankho may ese basta h Jise mere palko may base ansu Tu mere dhadkano may ese basta h Jise mere sanse Tu mere sapno may muzse ese leapt ta h Jise mera anchal Tu mera entazar kare n kare may her pal tera entazar karti hu Ese jise rat ko subah ka

Tum jo aye

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    Tum jo aye to laga jami oss ke bunde ab peghalne lage h Tum jo aye to laga barkha ke bunde zame ko bhegone lage h Tum jo aye to laga kuch to tha tere mere bich jo ab muskurane ke kosis kar raha h fir se Tum jo aye to man mahaka us khusabu ke tarah jo barso se band tha sanduk may etra ke sesi sa Tum jo aye to man bahka pahado se gertay jharne sa Tum jo aye to man may veswas jaga amawasya ke bad ayi purnema ke chamakte chand ka 

Wajah tum ho

Mere dhadkano may jo samayi tere dhadkano se chankar ayi sanso ke mala Mere hotho par jo samayi gulabo se chankar ayi gulabi hasi Mere dhadkano may jo samai tere veswas se chankar ayi muskurahat muze mere hone ka ehsas karati h ese jise radha rani ka pyar kanha ke leye, mera se bhakti kanha ke leye sudama sa veswas kanha ke leye Mere jendage may jo samai shari khusiya Wajah tum ho

शायरी

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        Mere sapno may aksar tera ana jana h Mere bato may aksar tere bato ka tana bana h Mere sanso may khusabu basi h tere ahsas ke Mere sarer may bahtay rakt may wesvas chepa h tere apneypan ka Tera wo apnapan pakar may chamakti hu sone se damakti hu here se khelti hu neelam se