संदेश

लफ्जों के मोती लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सौदेबाज क़िस्मत

क़िस्मत की क्या कहिये कभी आंधियों में रेत सी उड़ती है, तो कभी ओलो की मार सहती है, तो कभी हाड़ कपाती पूस में जम जाती है। रामदीन बहुत खुश था। बारिश इस बार अच्छी हुई थी तो उसकी कनक की फसल भी कनक सी चमक रही थी। लहलहा रही थी। रामदीन मन ही मन सारा हिसाब लगा कर चल रहा था कि उसे इस बार की फसल से आये पैसों से क्या-क्या करना है। उसे खुश देख उसकी पत्नी और 10 साल की बेटी भी बहुत खुश थे।  बेटी मन ही मन इस बार नया स्कूल का बैग लाने की सोच रही थी। और पत्नी एक टीवी जिसमें वो परिवार के साथ बैठ कर कोई नाटक देख सके लाने की सोच रही थी। एक दिन रात में हिम्मत कर बेटी बाप ले कंधों पर झूल गई।बाबा इस बार मुझे क्या दिलाओगे, अरे बिटिया तू जो कहेगी वो लाकर दूंगा तुझे मेरे कोई 4,6 बच्चे थोड़ी है तू तो  इकलौती है मेरी रानी बिटिया तू जो कहेगी बाबा तेरे लिए वही लेकर आएगा। बिटिया खुश हो सपने बुनती सो गई। पत्नी बोली इस बार सारा दरीदर धूल जाएगा, मकान ठीक कराकर जो पैसे बचे तो मेरे लिए भी एक छोटा टीवी ला देना। फिर उस पड़ोसन के चाशनी में लिपटे ताने नहीं सुनने पड़ेंगे। रामदीन बोला अरे सब ला देंगे तू चिंता मत कर अब सो जा। दूसरे ही

एक शाम

चित्र
एक शाम तुम लेकर आना मेरे लिए थोड़ा वक्त अपने लिए थोड़ा आराम। दोनों बैठ चाय की चुस्कियों में बिखरा दिन समेट लेंगे। तुम करना थोड़ी नशीली बातें मैं थोड़ा शर्मा कर रसोई में चली जाऊंगी। तुम रसोई में भी आ जाना फिर मेरे संग आटे की लोई में स्वाद भरना छेड़खानी का। तुम रात का सकोरा बन जाना मैं ख़्वाब भर पी लुंगी सकोरे में। तुम गाना मेरे लिए एक गीत जिससे बादल भी मचल जाए। तुम थाम लेना मेरा हर मुहर्त मेरे आंसू, मेरी तड़प, मेरी हँसी भी। तुम सागर बन जाना मैं नदिया बन तुममे समा जाऊंगी। तुम सूरज बन नदिया को आगोश में भर लेना। लहरों की चमक में खो जाना।