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इल्ज़ाम

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  सरकारी अस्पताल में पर्ची कटा कर धन्नो बाहर मरीजों के लिए लगी लोहे की कुर्सी पर बैठ डॉक्टर साहब का इंतजार करने लगी। मन ही मन में बड़बड़ाती जा रही थी इतना बड़ा डॉक्टर पता नहीं कब नम्बर आएगा, आएगा भी या नहीं। बाहर मरीजों की लम्बी लाइन लगी थी। लोग न जाने कब से आ बैठे थे डॉक्टर साहब के इंतजार में।  वहाँ इतनी भीड़ थी कि लोग एक-दूसरे से चिपके जा रहे थे। एक तो इतनी गर्मी ऊपर से भीड़। कोरोना संक्रमण फैलने का बहुत डर था। किसी ने मास्क लगाया था, किसी ने नहीं। धन्नो पसीने से पूरी भीग गई थी उसका जी घबरा रहा था,  ' हे भगवान मेरे बच्चे को कोरोना मत देना। हम लोग बहुत गरीब है'। कन्नू को गोद में लिए वो सोच रही थी। वो मन ही मन सोच रही थी डॉक्टर दवाइयां महंगी न लिख दे उसके पास तो सिर्फ 500 रुपये है जो उसने अपने ब्लाउज में रखे हुए थे। दोपहर हो रही थी उसे और बच्चे को भूख भी लगी थी। वो अपनी भूख तो बर्दास्त कर लेगी पर बच्चे की भूख को कैसे बर्दास्त करे।  चुप...रे कन्नू अभी बिस्किट दिलाती हूँ मेरे राजा बेटे को इतने में कम्पाउंडर ने आवाज लगाई कन्नू...... धन्नो जल्दी से उठी और भाग कर आई ये है कन्नू..... कम्प

उपहास

  उपहास अपने पति से ज्यादा पढ़ी-लिखी स्मिता की शादी एक कम पढ़े-लिखे व्यक्ति से हो जाती है। स्मिता को इससे कोई एतराज नहीं होता। वो हमेशा अपने पति का साथ देती और उनकी बातें मानती। पर स्मिता का पति हमेशा उसकी बात काटता और उसका मजाक उड़ाता था। उसके मायके वालों को भी भला-बुरा कहता और उनका भी मजाक उड़ाता था। स्मिता सब सुन लेती थी, ज्यादा कुछ नहीं कहती थी अपने पति से कि आपने उनका या मेरा मजाक क्यों उड़ाया। उसे लगता धीरे-धीरे वो सुधर जाएगा और उसका मजाक उड़ाना बंद कर देगा। लेकिन उसके पति की ये आदत धीरे-धीरे कम होने की जगह बढ़ती ही गई। अब तो वो बिना बात भी उसका मजाक उड़ाने या तानें देने से बाज नहीं आता था। वो उसका मजाक उड़ा खुद को बहुत महान समझता था। रोज की तरह आज सुबह स्मिता चाय और अख़बार लेकर अपने पति के पास आकर बेड पर ही बैठ जाती है। और चाय पीती हुई अख़बार पढ़ने लग जाती है। एक डॉक्टर की मौत की खबर पढ़ कर वो बोलती है। देखो इसकी भी मौत हो गई कोरोना से। स्मिता की बात सुन कर उसका पति बोलता है क्यों तू इसे जानती थी क्या? स्मिता बोली क्या मतलब? उसके पति ने कहा क्या पता तू उसे जानती हो, तेरे अंदर दिम