आंसू

       रो कर मिलता क्या है। यहाँ
सिर्फ कुछ क्षणों की दिलासा
फिर हमें कमज़ोर मान कर हमारा मज़ाक उड़ाया जाता है।
हमें खुद पर तरस खाना और दूसरों पर आश्रित होना सिखाया जाता है।
आँसुओ को औरतों का गहना और मर्दो की कमज़ोरी माना जाता है। पर एक बार भावनाओं में बहकर औरतों के इस नायाब गहनें को तुम भी पहनना मन हल्का हो जायेगा तुम्हारा भी। माना कि आँसुओ में वज़न नहीं होता पर एक बार बह जाये तो मन हल्का जरूर हो जाता है। आंसू बेरंग होते है पर उनमें एहसास छुपा होता है दिल की गहराइयों का।
और आँसुओ की कीमत जननी हो तो चले जाना माँ के आंचल तक वहाँ न जाने कितने आंसू कैद है। वहाँ जा कर बस इतना कहना माँ तुम कैसी हो और खुद देख लेना माँ चुपके से अपने आँसुओ को कैसे आंचल में छुपाती है।और मुस्कुराकर कहेगी मैं अच्छी हूँ तू बता कैसा है। आज माँ की याद कैसे आ गयी।
आंसू न होते तो दर्द की कीमत भी नहीं होती और अगर दर्द की कीमत न होती तो खुशियों का बेशक़ीमती एहसास भी हमें महसूस नहीं होता !
           

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