संघर्ष
सुबह ने आँसुओ सौगात दी
शाम ने अकेलेपन की
और रात ने खुद से बाते करने की
क्या हुआ जो ये दिन यू ही ढल गया
सुबह से रात हुई और फिर रात से सुबह
अब जाकर मैंने जाना है
खुद की कमजोरियों को
और तुम्हारे छल को
मैं तो वही हूँ जो मैं कल थी
पर तुम बदल गये हो
ये बदलाव भी अच्छा है
मेरे लिए क्योंकि मैं एक औरत हूँ
मुझे आज भी जीने के लिए संघर्ष करना है
मैं ये भूलने लगी थी
तुम्हारा शुक्रिया
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