बारिश की बारिक फ़ुहार


                 ये गगन में उड़ रहा पंछी कितना प्यारा लग रहा है।
तेरी रूह से मेरी रूह का नाता कोई पुराना लग रहा है।
यू ही कोई जिंदगी की सुनहरी सुबह का गुलाब नहीं बनता ,
मोगरे सा प्यार नहीं बनता,
जिंदगी की सारी तन्हाइयो का मददगार नहीं बनता।
अब तो हर हार में जीत नज़र आती है। कोई कुछ भी कहे मुझे तो बारिश की बारीक फ़ुहार नज़र आती है।
अब मुझे अमावस का चाँद भी बहुत खुबसूरत लगता है।क्योंकि खुद छिपकर तारों की महफ़िल सजाता है, और किसी कोने में छिपकर सुबह का इंतज़ार करता है।
अब शहर भर में मेरे चर्चे आम है। क्योंकि हर शख्स में मेरी पहचान है।

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