आजकल मेरा शहर

   
            आजकल यहाँ हर बात की जुगाली होती है ,
आजकल यहाँ हर नेता की हिस्सेदारी होती है।
अब मेरा शहर रातों को सोता नहीं पहरेदारी करता है,उन अपनों की जो मोबाईल में करवटे बदलता है। और सुबह तीख़े प्रहार करता है।
अब कुछ संजीदा लोग हर बात में हां में हां मिलाने का रूख अख़्तियार करते है, और जिन्दगी को अपने ढंग से जीने के लिए मौन धारण करते है।
आजकल रिश्तों की मलाई गर्म दूध की मलाई में खो गई है,और कुछ ही बिलोनी में जाकर मक्खन बनते है।
आजकल हर चीज पे शक़ होता होता है, हर रिश्ता नीम पे चढ़ता लगता है।
अब मन की बाते नादानी लगती है, तन की बाते रूहानी लगती है।
अब हम वक़्त को अपनी मुट्ठी में भरते है, और सोशलमीडिया पर दिल खोलकर खर्च करते है।

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