कल किसी ने मुझसे पूछा तुम्हारी पहचान क्या है
तो मैंने कहा बस इतनी की मैं एक स्त्री हूँ
मैं मानव का निर्माण करती हूँ
अगर मैं नहीं तो तुम भी नहीं।


सुनो तुम इतने हैरान परेशान क्यों हो
हर वक़्त यू खुद को इल्ज़ाम न दिया करो
ये जो ऊपर आसमां में रहता है न
वो तुम्हारा इम्तिहान ले रहा है कि
जिस हुनर से तुम्हें नवाज़ा था वो तुम में अब भी है।
या उड़ गया ज़माने में।



ये इंटरनेट की दुनियां भी महान है।
कुछ गैरों में अपनापन , कुछ में प्यार है।
यहाँ हर हार जीत सी लगती है।
हर बात सच्ची सी लगती है।
काश तुम मुझे पहले मिले होते हर दिल ये कहता है
और तान के चादर आधी रात को सुकून से सोता है।






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