उड़ते बुलबुले सी जिन्दगी........

ऐ जिन्दगी तू इतनी उदास क्यों है,
मैं तो भूली थी अपना हर गम,
तू फिर लौट कर क्यों आ गयी,
क्या तुझे भी मेरे बीना चैन नहीं है,
आ जब तू आ ही गयी है। फिर से,
तो कुछ गुजरी बातें करते है, कुछ बिसरी यादें
दोहराते है, कुछ रातें फिर साथ - साथ रोते है,
कुछ बातें मैंने अब तक तुझसे छुपा रखी थी,
वो सब तुझे बताती हूँ, और अपना दिल हल्का करती हूँ,
अब हर ख़ुशी पर शक़ होता है, और हर गम अपना मीत लगता है, जो हर पल मेरी राह ताकता है, और मुझे देखते
ही मेरे गले लग जाता है, और मुझसे कहता है,
तुम मुझे यू तन्हा न किया करो
मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता हूँ,
आ ऐ जिन्दगी अब तू उदास न हो,
कुछ वक़्त साथ -साथ रहते है
कुछ वक़्त साथ -साथ रहते है !!

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