विचारों का आहता

       आज मन ख़यालो में उलझा है।  न जाने क्यों..... तुम बहोत याद आ रहे हो .....
मन बार- बार तुम्हे याद कर रहा है...... तुम्हारी वो अनकही बातें .....ऐसा लग रहा है.....कि जैसे तुम मुझे ही याद कर रहे हो......मन में एक अजीब सी कसक है.....मानो मुझसे कह रही हो तुम इतनी बेदिल क्यों हो.......तो मैंने उसे समझाया ..
मैं बेदिल नहीं हूँ बस अब खुद से भी डरती हूँ......
क्योंकि ये सागर की लहरें बार-बार साहिल से टकराकर ...वहाँ
पड़ी रेत को बिखेर कर वापस चली जाती है.....उसे तड़पता छोड़कर......
फिर लौटती है....और फिर चली जाती है........
ये जमीं,  ये आसमां,  ये चाँद सितारें,  मेरे तो सब तुम हो...
वो बारिशों में गुलाबो से छनकर आती खुश्बू भी तुम हो.......
आज तुम बहोत याद आ रहे हो.........
न जाने क्यों बार-बार याद आ रहे हो !!!!!

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मेरे जीने की वजह तुम बन जाना ।
तेरे जीने की वजह मैं बन जाऊँगी ।
हम यू चलेंगे सफ़र में साथ-साथ ।
जैसे सितारों की छांव में चमकते दो जुगनू ,
सागर की लहरों पर चलती दो किस्तियां ,
अम्बर में चलते चाँद और सूरज !!!

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यू ही तन्हा बैठे-बैठे जब पलकें बंद की
तो कुछ नीम की निबौली सी बातें याद आई ,
तो कुछ आम सी रसीली बातें याद आई ,
लेकिन जब आंख खुली तो खुद को ,
बरसते बादलों के शोर में भी अकेला पाया !!!

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अकेलेपन के सिरहाने तकिये से सटकर जो मुंदी पलकें
तेरी यादों की रिमझिम में फिर भीग आयी मेरी पलकें
कुछ देर के लिए तू फिर लौटा था मेरी यादों में
तू खामोश था , मैं भी खामोश थी । हमेशा की तरह
पलकें खुली तो देखा तकिये का कोना गीला था ।
हमेशा की तरह !!!

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झुलसती गर्मी में बरसते बादलों से तेरा एहसास .......
बहते दरिया में समायी चाँद की रोशनी सा तेरा एहसास ......
खेतो में लहराती कनक की बालियों सा तेरा एहसास .......
जंगलो में उगते पलाश के फूलों सा तेरा एहसास ........
सीप में समायी शांत , स्वच्छ , निर्मल , मोतियों , सा
तेरा एहसास !!!










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