जय श्री कृष्णा

         
पिछले कुछ दिनों से । 
अपनी सफलता पर मुझे घमंड हो गया था।
मैं हर किसी पर दया दिखाने लगी
कान्हा जी से भी खुद की तारीफ़ करने लगी
राह चलते लोगों का भी कोरी बातों से दिल दुखाने लगी
मुझे हर सफलता पैसों का खेल लगता
किसी को भी नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं गंवाती
मेरी गर्दन अब अकड़ी रहती
बड़ो का अपमान छोटो का तिरस्कार करने लगी
एक दिन कान्हा जी मेरे स्वपन्न में आये
और बोले
तुम हर चीज पैसों से नहीं खरीद सकती हो
और न अपने नसीब पर घमंड कर सकती हो
ये पैसे तुम्हें पिछले जन्म में किये गये दान 
की वजह से मिले है ।
और नसीब पिछले जन्म के कर्मो की वजह से ।
तो मैंने कहा ये सब फालतू की बात है ।
कोई पिछला जन्म नहीं होता ।
बस वर्तमान होता है ।
तो कान्हा जी ने कहा 
वर्तमान में तुम्हारे पिता की इतनी हैसियत नहीं थी ।
जो तुम्हे इतना पढ़ाते तुम्हारी पढ़ाई एक सज्जन की वजह से पूरी हुई है ।
तुम बहुत सुंदर भी नहीं हो फिर भी एक अमीर घर में ब्याही गयी हो ।
तुम्हारा पति एक नेकदिल इंसान है । जो तुम्हे बहुत चाहता है।
क्या ये सब कुछ तुम्हारे लिये इतना आसान था ।
मैं उनको सुनती ही रह गयी ।  मैंने कहा नहीं कान्हा जी । मुझे माफ़ कर दो ।
फिर उन्होंने कहा तुम्हारा वर्तमान ही तुम्हारा भविष्य बनाता है।
और ये वर्तमान ही तुम्हारा इतिहास भी रचता है ।
इसलिए अपना आज संवारो व्यर्थ का घमंड छोड़ो ।
जब आंख खुली तो मुझे बहुत हल्का महसूस हो रहा था ।
अब मैं पहले जैसी हो गयी हूँ ।
अगर आप सब भी मेरी तरह गलती कर रहे हो तो
ऐसा मत करो ।
अपनेआप को आज ही सुधार लो ।
अपना आज संवार लो !!!!







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