आओ अल्फाज़ो में कुछ देर साथ चलते है....।।।

 
                 ये दुनिया का दस्तूर है,यहाँ हर इंसान बेनूर है।
आओ अल्फाज़ो में कुछ देर साथ चलते है...
सड़को पर बहते शोर की बातें करते है.....
दुनिया में औरतों के होड़ की बातें करते है......
नेताओं सी चाल चलते है।
अपनी हार का ठीकरा...पाड़ोसी के सर पर फोड़ते है!
कुछ देर खुद की तारीफ़े करते है......☺☺
दुनिया के प्रति उदासीनता जताते है?
कुछ बाते आज ले माहौल की करते है।
कुछ बातें रिश्तेदारों की करते है।
क्या सच में अब सब कुछ बदल गया है।
क्या हम-तुम नहीं बदले,
जब सब बदलेगा तो हम-तुम भी बदलेंगे न,
क्या हुआ जो फिर मौसम बदला फिर आँधियों
का दौर चला ,
अब तो हम-तुम भी ढल चुके इन आँधियों में,
वक़्त की गुलाल उडी है, तेरे मेरे चेहरे सजे है,
बस कुछ बूंदे माथे उभरी है पसीनें की,
कुछ सलवटे पडी है रिश्तो की,
पर हम तुम यू ही चल रहे है,
जैसे पांव पड़े छाले, जिस्म बेख़बर......
नसों में बहता रक्त,दिमाग सुन
बस निवाला निगल रहे है,स्वाद ख़ामोश.......
पर फिर भी हम-तुम जी रहे,
चेहरे पर नकली मुस्कुराहट का नक़ाब ओढ़े.....
चल रहे दुनियां की दौड़ में, शामिल हो रहे......
जिंदगी के अनसुलझे फ़साने में, कभी ख़ुशी....
में, कभी गम में, न कोई गिला,न शिकवा बस....
चल रहे है ,जब तक सांस है,जब तक आस है.....
जब तक ये जिस्म है......!!!!!






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