जी फिर से.....एक कोशिश तो कर..........

रब की दी जिंदगी क्यों जाया कर दी......
माटी के महल चिनते-चिनते क्यों फ़ना हुए तुम ,
अब रो क्यूँ रहा है....पगले......
  उठ अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है !
बस एक उम्र बीति है , तू नहीं बीता अभी ,
ये तेरी उदास पलकें.....
बेजान हँसी......
बेरौनक जिस्म......की सलवटे तुझ पर शोभा नहीं देती।
कुछ खोने में , कुछ पाने में ये उम्र अभी नहीं बीती है ।
तू रो मत...ये अपने , ये गैर , सब इस जीवन के मुसाफ़िर है ।
एक वक़्त पर आये थे.....
एक वक़्त पर चले गये बस.....
जो है.....अब उनको जी.......
एक नई पगडंडी पर......
नए रास्ते पर.......
नई मंजिल की माटी पर , नए सफ़र पर..................
अब थोड़ी मुस्कान सज़ा अपने चेहरे पर.......
बालों को थोड़ा संवार ले फिर से.......
आ अब ये शहद की शीशी ,
जाम की बोतलें सब तोड़ दे ,
सुबह की किरण से आंखे मिला बातें करते है.......
कुछ अपने जैसे अंजानो से उनका हाल-चाल पूछते है ।
सुबह की सैर पर निकलते है , ख़्वाबो में किसी अपने का....
हाथ थामे ......
तू चिंता मत किया कर........
ये चिंता नहीं चिता है.........
और तू अभी जिन्दा है......
बन फिर से एक अल्हड़ कुछ देर ही सही.....
ले आ कुछ दोस्तों का झुंड फिर से......
कुछ नये , कुछ पुराने और मचा धमा-चौकड़ी कर
गुप्-सप कुछ नई कुछ पुरानी बातें......
और जी ले एक हल्की सी हँसी में अपना अल्हड़ यौवन ,
शरारती बचपन........
एक कोशिश तो कर खुद के लिए ,
तू कुछ पल जी कल सा और कल के लिए संवार ले आज
और बना अपना आज ख़ुशनुमा महकता हुआ.......
एक कोशिश तो कर तू..........
बाक़ी सब कान्हा पर छोड़ दे तेरे सोचने से कुछ नहीं
बदलने वाला......
हा तेरे चाहने से एक चीज बदलेगी , तू खुश होगा......
और तेरे खुश होने से सारी सकारात्मक ऊर्जा तेरे पास
आ जायेगी ।
और तेरा सब कुछ अच्छा होने लगेगा सब कुछ अपने आप
तेरे पास आने लगेगा ।
इसलिए तू फिर से जी सारी चिंताओं को भूल.....!!
एक कोशिश तो कर......फिर से.....
फिर से.................










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