सच मे एक जिन्दगी रूठी मुझसे आज फिर......
पर ठीक किया मैंने कोई क्यों तड़पे किसी की वजह से.......
कोई क्यों रोये रात-रात भर , मुझसे उसका तड़पना अब
देखा नहीं जाता ......
इसलिए उसे आज आजादी दे दी बहस कर कर के......
पूरा पागल था वो बड़ा सच्चा सा पर थोड़ा बंद-बंद सा.......
आज मे भी बही अपने अश्कों मे..........
और खूब दुआएं मांगी उसके लिए की उसकी ,
हमसफ़र मिल जाये जो बिल्कुल उस जैसी हो
थोड़ी चुलबुली थोड़ी नटखट सी.......

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