तेरी रूह से मेरी रूह का नाता कोई पुराना लगता है........

 मेरी रूह से तेरी रूह का नाता कोई पुराना लगता है,
यू ही कोई हमनवा, हम प्यारा नहीं लगता है,
सागर किनारे रेत पर जब मैंने तेरा-मेरा नाम लिखा
लहरें आयी और दोनों को बहा ले गयी तो मैंने लहरों से
पूछा ऐसा क्यों तो लहरों ने कहाँ अगर फिर एक को
ले जाती तो एक अकेला यू ही तड़पता न जीता न मरता
इसलिए मैं दोनों को साथ बहा ले गयी।
जब भी तुमको याद किया मेरी रूह ने,
तू जिस्म से होकर गुजरा है।
मेरी खुशी में तू शामिल है इस कदर अगर तू हल्का
सा भी मुझे पुकारे तो मेरी सांसे थम जाती है,
धड़कन रुक जाती है।
मेरी दुआओं में बस तू रहता है। जैसे पूजा में फूल
होते है, चन्दन होता है।
मेरी हाथों की लकीरों में मैंने तेरा नाम लिखा है,
बस सबसे छिपकर तेरे नाम पैगाम लिखा है।
ये कैसे सिलसिले हुए है, इतनी दूर होकर भी तू
मेरे करीब बैठा है।
तेरी हर बात का एहसास है मुझे कब रोया,
कब सोया, कब बेचैन हुआ है।
हम बस कह न पाये यू ही तेरी पलकों पर अपने
होंठो से शब्दों की बारिश करते रहे की तुझे कुछ
तो चैन आये।
हम सिर्फ इसलिए हँसते रहे की तुझे भी हँसी आये,
तेरी तन्हाई, तेरी ख़ामोशी में कुछ तो कमी आये,
मेरी बस एक गुज़ारिश है तू बस मुस्कुराता रहे
और मैं यू ही तुझे ताकती रहूँ।
तेरी आँख का कतरा, मेरी आँख में सरकता रहे,
और मेरी चांदनी तेरे कदमो में यू ही सदा बिछती रहे,
मेरी यादों से तू यू ही जिंदा रहे ,और तेरी यादों से मैं
यू ही मुस्कुराती रहूँ, जिंदा रहूँ.......................

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