बेबस सलीका जिंदगी का........
बिन कहे जो सब कुछ समझ जाये,
चुप रह कर जो सब कुछ सह जाये,
ये मत सोचो वो कमज़ोर है,
वो तो बस सबकी खैर चाह रहा है,
काबिलियत उसमें भी कम नहीं,
इंसानियत उसमें भी कम नहीं,
खैर गुजरे वक़्त में यू खुद को दफ़्न न करो,
कुछ तो नया करो.......
चलो एक पहल करते है कुछ दूर यू ही चलते है,
कुछ तो मोज़ो के साथ चलते है......
कुछ मोज़ो के साथ लड़ते है.......
लहरों पर अपनी नईया खेते है......
तूफानों से अपनी नईया बचा किनारे
लगाते है......
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