विचारों का आहता........

जीवन पगडंडी मुश्किलों भरी......
सफ़र ये उलझनों भरा........
किस और जाना ये भी न पता.....
इस रात की सुबह कब होगी ये
भी न पता......
पर फिर भी हम सब चल रहे है
आगे बढ़ रहे है.......
कभी न कभी तो जरूर मिलेगी हमें
हमारी मंजिल.......
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तेरी-मेरी राहे जुदा.....
हम-तुम यू ही टकरा गये
भीड़ में चलते हुए.....
तूने मुझे देखा मैंने तुझे देखा.....
बस कुछ सपने आँखों में आ गये.....
और हम-तुम ख़यालो में डूब गये
न जाने कब से.....न जाने कब तक.......
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उम्मीदों की केसरी हसरतें......
संगमरमरी मीनारों सी बातें.....
अब सब कुछ खोया-खोया सा
लगता है.......
जैसे आसमां में अमावस्या का चांद
रोया-रोया सा लगता है.........
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तेरी चाहत मेरे प्यार की दीवानगी
सब एक सी है......
बस अब तू रोना नहीं क्योंकी ये तो
पावन है, पवित्र है,
मिले न मिले क्या फर्क पड़ता है,
तू मेरी सांसो में बसता है,
मैं तेरी धड़कनों में बसती हूँ
ये क्या कम है.......
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मैं हल्के झोंके से बजने वाली वीणा के तार सी,
तू हर सुर-ताल का शहजादा सा,
तेरा-मेरा मिलन जैसे गहरे झील में समाई
चांद की चांदनी सा,
हरी हिना में समाई दुल्हन की खूबसूरत हथेली सा......
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मेरे अंगना मेरी तुलसी...मेरा नीम..... मेरा गुलाब
सब महक रहे है.....
तेरी बाट जोहते-जोहते मेरी पलकें बोझल हुई,
और जब मैंने पलकें मुंदी तो ख़ाब आया उस
ख़ाब में मैंने तुझको पाया ऐसा लगा तू मेरे अंगना
आया, और मुझको गले लगाया......
पर फिर एक पवन का झोंका आया और मेरा ये
ख़ाब उड़ा ले गया........
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तेरे वादे तेरी वफ़ाये सब मुक़मल जहाँ से लगते है,
न जाने क्यों जन्नत से आये पैगाम से लगते है,
तेरे इज़हार से एक खूबसूरत रूहानी एहसास होता है,
ऐसा लगता है जैसे मैं परियों के देश से आयी हूँ,
पर फिर डर सा लगता है, तू कहीँ खो न जाये,
ऐसा सोच मन घबराता है, तन रोता है,
पर फिर तुझसे आसरा पा एक सुकून सा मिलता है,
एक पुरे चमन कर प्यार सा प्यारा लगता है.......
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पलकों में कैद आंसुओ को रिहाई देने मैं बारिश में
भीगी थी....
पर तेरी यादों ने मुझे यहाँ भी चैन से भीगने न दिया....
फिर मेरे आंचल ने मुझसे मेरा चैन छीना और मुझसे
लिपट कर तेरे होने का एहसास कराया और मुझे खूब
रुलाया खूब हंसाया......
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