सकारात्मक विचार........

हकीक़त में हम सब डरपोक है,
हमारा डर भी अजीब,
हम खुद को डराते है ये सोच-सोच कर
की अगर कुछ हो गया तो हमारा- हमारे
परिवार का क्या होगा, हमारे बच्चों का क्या होगा,
जबकि हकीक़त में ज्यादा कुछ नहीं होने
वाला लेकिन हम उल्टा-सीधा सोच-सोच कर
हर नकारात्मक चीज को खुद की तरफ
आकर्षित कर लेते है। अनजाने में और जो
हम सोचते है वो हो जाता है अकस्मात ही हमारे
साथ वो घटना घट जाती है और हम कहते है
देखा मैंने कहा था न ऐसा होगा ।
जैसे की हमने खुद खुद की भविष्य वाणी की हो
की हमारे साथ गलत होगा और हो गया। फिर
हम खुद डरते है औरो को डराते है।
क्या ये सोच सही है........
नहीं ये सही नहीं.......
हमें खुद पर विश्वास होना चाहिए की सब ठीक होगा
जो भी होगा हमें तो ये स्वीकार करना है। की कान्हा सब
ठीक करेंगे कोई अपने बच्चो के साथ बुरा नहीं करता है।
और हम सब कान्हा से जन्मे है कान्हा के बच्चे है।
और कान्हा हमारा परमपिता है।
सहंसिलता हमारा गुण होना चाहिए,
आत्मविश्वास हमारा तेज़,
सकारात्मकता विचार हमारे नसों में दौड़ना चाहिए,
एक मुस्कान के साथ हमें जीना आना चाहिए,
वक़्त का कुछ पता नहीं कब किस करवट बैठेगा
हमें तो बस वक़्त के हिसाब से खुद को ढालना
आना चाहिए,
हर रात की सुबह पक्की है, हमें ये बात खुद को
बतानी आनी चाहिए,
हम सब इस धरा के मुसाफ़िर है, हमें सबसे प्यार
से पेश आना चहिये,
हमें तो बस अपना कर्म करते रहना है, बाकी सब
कान्हा पर छोड़ देना चाहिए,
जो होगा सब अच्छा होगा,
हमें तो बस ये सोचना चाहिए !!!





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