मेरे हर एहसास में तू छिपा........

 तेरे एहसास में जो मिला मेरा एहसास
तो इस कदर दुनिया से बेख़बर
हो गए हम की हमें अब न दिन का पता
चलता है न रात का बस तेरी यादों के सहारे
अब ये दिन ये रात कटते है
अपनी तन्हाइयों में हम अक्सर तुझसे
नजदीकियां बढ़ाते है
और तेरी बातों को गले से लगा कर सो जाते है
तेरे होंठो की मदहोशी के कायल है
तेरे अल्फाजों के कायल है
तेरे एहसास से महोब्बत की है
तेरे जज़्बात से महोब्बत की है
तेरे महकते अल्फाजों से महोब्बत की है
जो तुमने हँस कर दिया है
तुमसे मिलना तो एक ख़्वाब सा लगता है
इस लिये तेरे इंतज़ार से भी महोब्बत की है
मेरे पलकों के चिलमन में तेरे ही ख़्वाब सजे है
मेरी सांसो की महकती फिजाओं में तुम ही फिर रहे हो
मेरे होंठो की बिखरी लाली में तुम ही मुस्कुरा रहे हो
मेरे हर अंग में तुम ही खिल रहे हो
मेरे चेहरे पर चढ़ा ये सिन्दूरी रंग भी तेरा है
मेरे दर्पण में रूप भी तेरा सजा है
मेरे आँगन में गुलाब भी तेरे नाम का खिला है
मेरे आँगन के धुप में भी तुम छाया में भी तुम
मेरी हर रात में तुम दिन में तुम
मेरी दोपहर भी तुम शाम भी तुम
अब और क्या कहूँ
मेरा तो जीना भी तुमसे मरना भी तुमसे
मेरा तो मंदिर भी तुम देवाला भी तुम
मेरा तो हर राज भी तुममें छुपा है
मेरी तो हर बात में तू छिपा है
बस तू छिपा है !!!

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उस पार जाऊँ कैसे....!!!

पीड़ा...........!!!

एक हार से मन का सारा डर निकल जाता है.....!!