विचार राधे-कान्हा के........

 
तुम्हे खुद पर एतबार मुझे तुम पर एतबार......
रात को चाँद पर एतबार चाँद को सूरज पर एतबार......
बादलों को सागर पर एतबार सागर को नदियां पर एतबार.....
शाम को ढलते सूरज पर एतबार.......
और मुझे मेरे कान्हा पर एतबार...........
अपने राधे पर एतबार........

शाम के हल्के-हल्के सुरूर में तुम,
जाम के हल्के-हल्के सुरूर में तुम,
मेरी हर बात में तेरा अक्स मिला,
तू नहीं मेरे पास, पर मेरे आस-पास तू,
मेरी हर सांस में तू बसा,

किस्तो में घिसटती जिन्दगी का हिसाब न माँगा कर,
बेचैन रूह से तेरी याद का जबाब मत माँगा कर,
बस ये समझ ले तेरी याद में ये जिन्दगी रो रही है,
और अपनी सांसो का कर्ज चुका रही है,
मौत आये न आये हर पल मौत की दुआ कर रही है,

ये कौन है जो तेरे-मेरे बीच आ गया,
जिसका कोई मजहब नहीं लगता है,
बस तेरी-मेरी दोस्ती का दुश्मन सा लगता है,
तू चिंता मत कर न अब मैं कोई चिंता करुँगी
क्योंकी अब हमें खुद पर एक-दूसरे पर गहरा यक़ी
हो चला है, जैसे लहरो पर हिचकोले खाती नाव चल रही,
मन के विश्वाश पर तू चल रहा मैं चल रही,

आओ कमरे में कैद हवाओ को कुछ देर बहार छोड़ आते है।
जिस्म में कैद साँसों को कुछ देर बगीचे की सैर करा देते है।
कुछ धूल चेहरे से हटाते है,और अपना वर्षो से सुना पड़ा आईना निहार लेते है।
रंगीन शरबतों सा ये ज़ाम कुछ गटक लेते है,
और एक बिंदास हँसी में खुद को खो देते है।
ये अनकहे दर्द की गठरी सुने बंजर गाछ पर टांग आते है,
और अपने अश्कों को खारे सागर में बहा आते है।
कुछ देर जंगलो में उगी पलाश से दहकते है,
कुछ जंगली फूल से महकते है।

पंछी गाए मेघ-मल्हार कोयल कूके अमवा की डारी पर,
सुंदर सपनो का ये संसार देखो लगता कितना प्यारा,
सातों संमुन्दर लाँघ कर आया ये रिश्ता हमारा,
जैसे आसमान में भरी बरसात में खोया इंद्रधनुष,
आँचल में जा शरमाया चाँद, हल्का-हल्का
मुस्कुराया चाँद,
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