राधा-कान्हा......

 न पाए चैन उर मेरा
ठिकाना ढूंढता है। क्यों
नयन भर ताक लेने का
बहाना ढूंढता है। क्यों
भरे उर कोष में आंसू
बिछाए पाँवड़े पलकें
तुम्हारी नित्य परछाईं
दीवाना ढूंढता है। क्यों?
मेरी बोझिल सांसे ....भर आये यू ही बैठे-बैठे नैना....
....तेरी याद जो सताये तो तेरा मुखड़ा निहारूँ....तेरा
रस्ता देखू.....तेरा ख़्वाब सजाऊँ...... यू ही बैठे-बैठे
तेरी तस्वीर पर सर रख सो जाऊँ....... तेरी प्यार की ....
.....बारिश में भीग जाऊँ......बस इतनी दुआ है.......
तेरे प्यार में तुझ संग जी जाऊँ....... तुझ संग मर जाऊँ.....
तू आदि.......💐
तू अनन्त......💐
तू जिस्म......💐
तू रूह......💐
तू ख्वाइशों का दर्पण.......💐
तू इश्क़ का समर्पण........💐
तू सच्चाई का फ़रिश्ता......💐
तू चाहतों का फ़रिश्ता.......💐




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