सच्ची प्रीत तेरी-मेरी........

  मेरे शब्दों की पाती में तुम छीपे......
मेरे पलकों की हया में तुम छीपे......
मेरे विचारों में लाली तेरे ओज की......
मेरे चेहरे पर चमक तेरी शरारती
निगाहों की......
मेरे मन में उमंग तेरे मजबूत
कांधे की.......
बहोत दूर-दूर तलक यू ही साथ-साथ
चलना तुम.....
जो हो कोई शिकायत मुझसे बस दो
कदम तेज चलना तुम और आंखे देखा
देना तुम.........
जो हो कोई गिला मुझसे तो होले से हाथ
दबा देना तुम, और चुटकी काट लेना तुम.......
तुम पर साथ न छोड़ना तुम......
तेरे लबों की हँसी देख मैं जीती-मारती हूँ.....
बस यू ही तेरे ख़यालो में खोई रहती हूँ.....मैं
कभी पास आना और गले लगा लेना
तुम मुझे......
जो पास न आ सको तो मुझे बुला लेना तुम.......
मेरी प्रीत है सच्ची.....
मुझसे कभी दूर न जाना तुम........



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