एहसास तेरा-मेरा.....


एक दिन एक एहसास हुआ......
नीले गगन का नील अम्बर सा तू
मेरा सबसे ख़ास हुआ......
तेरे शब्दों से मन तर हुआ.......
तेरे नर्म बातों से मन झूम उठा.......
तेरे ख़यालो से मन नाच उठा......
ऐसा लगा तुझे भेजा मेरे रब ने........
जो लम्हें मुझे खुशियों के मिले है
वो तेरी दुआओं से मिले है......
कुछ इस तरह तेरे इश्क़ का रंग
मुझ पर चढ़ा है.......
में भीग रही बारिशों में गुलाब सी
तैर रही ज़ाम में बर्फ सी.......
अब ऐसा लगता है इस जन्म ये नशा
न उतरेगा........
बस एक सिलसिला चलेगा तू मेरा होगा
मैं तेरी होऊँगी.........
एक अधूरा ख़्वाब मुक्कमल होगा........
तेरे जिस्म में मैं रहूँगी मेरे जिस्म में तू रहेगा
अपना हर सपना अब पूरा होगा ......
कुछ काँटों भरा सफ़र तय कर हमें हमारी
मंजिल मिलेगी.......
तेरी-मेरी उदास जिंदगी का पतझड़ अब उड़
रहा है,  कुछ गुलाब कुछ मोगरा महक रहा है.....
तेरी-मेरी सतरंगी बातें से ये हमारा जहाँ
इंद्रधनुषी हुआ है.........
भरी बरसात में ज़मी-आसमां रंगीन हुआ है......
तेरी चाहत मेरी जिंदगी बनी है........
मेरी चाहत तेरी जिंदगी बनी है........
अब हम दोनों गुलशन में खुसबू बन फिर
रहे है, तितलियों संग उड़ रहे है.......
एक दूसरे में खोए है........
शरबतों में मधु से घुल गये है........
पहाड़ो की ओट में एक-दूसरे में छिप
गये है.......!!!







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