तेरे ख्यालों में उलझा मेरा मन...........
आजकल मैं
तेरे खयालों के साँचें में
ढलती जा रही हूँ।
तेरी हर बात में
सुर्ख़ मेहंदी बन
रचती जा रही हूँ।
अक्सर रात में चांदनी बन
मैं तुझे पीछे खिड़की से
झांकती हूँ।
और तेरे नर्म ख़यालो में
खुद को पा
निहाल हो जाती हूँ।
तुम अक्सर मुझे
नींदों में भी
आवाज़ देते हो।
क्यूँ भला?
मैं रोज़
आती तो हूँ।
तुम्हारे सपनों पर
अपना अधिकार
जमाने।
तुम्हें अपनी
पलकों पर रख
पूरी रात निहारती हूँ।
सच
कितने प्यारे
लगते हो तुम
जब कभी कभी
नन्हे बच्चे सा
मुस्कुराते हो।
और मेरी
उंगली थामे
सुकून की चादर में
लिपट फिर से
ख़याली दुनिया में
प्रवेश कर जाते हो।
सच मैं तुम्हें
यू ही अपलक
निहारती हूँ।
जैसे एक प्रेमी
अपनी प्रेमिका की
याद में
चाँद को निहारता है।
तारों संग बतियाता है।
और खुद के सवालों पर
खुद ही जबाब बन
छत पर खुले में
यू ही पसर कर
सो जाता है।
सच
उस पल तुम
मेरे बेहद
करीब होते हो।
मैं आजकल
सोती ही कहाँ हूँ।
तुम्हारे सपनो में आने की
तुम्हारी फ़रमाइश पूरी
करने में लगी रहती हूँ।
आजकल तुम मुझे
बहोत सताते हो
सारा दिन मुझे
हिचकिया आती रहती है।
मैं हिचकिया मिटाने के लिए
मिश्री और सौंफ
चबाती रहती हूँ।
पर तुम्हारी यादों की
कुटिया से बाहर
नहीं निकल पाती
सुनो तुम मुझे
यू परेशान न किया करो
कल चांद भी तुम्हारी
शिकायत कर रहा था।
कितना ताकते हो तुम उसे
और मेरी तुलना उससे कर
उसे परेशान करते हो
पगले हो तुम
अब तो चांद भी
मुझसे जलने लगा है।
कहता है।
अगर तुमने उसे ताक कर
परेशान किया तो
वो भी मुझे ताक कर
परेशान करेगा।
सुनो उसे परेशान
मत किया करो
नहीं तो मैं चांद
से चांदनी चुरा
तुम्हारे आंगन में
रात की रानी
नहीं खिला पाऊँगी।
सुनो
उस दिन जब तुमनें
हल्के से मेरी
हथेली को दबाया था। न
मैं उस ठंडे कमरे में भी
पसीनें से तर बतर हो गयी थी।
मेरी सांसे
ऐसे पिघल रही थी। जैसे
परबत से गिरते झरने में
पानी की बूंदे पिघलती है।
तुम और तुम्हारी यादें
आजकल मुझे
रुलाती भी बहोत है।
अगर किसी दिन
तुम्हारी खबर
दिन चढ़ने तक
नहीं आती तो
मन न जाने क्या क्या
सोचने लग जाता है।
कितनी घबराहट
होती है। मुझे
और तुम बेफिक्र
हंसी हंस देते हो
ज़रा नहीं सोचते
मैं कितनी परेशान
हुई हूँ।
तुम्हारी एक मुस्कुराहट
मेरे दिन को गुलाब सा
खिला देती है।
तुम्हारी एक हंसी
मेरी रात कटने का
बहाना बन जाती है।
आजकल मैं तुम्हें
जितना सुनती हूँ।
उतना कम लगता है।
पता नहीं।
आजकल ये क्या
हो रहा है।
सांसे पतंग
और जिस्म डोर सी
हवा में लहरा रही है।
तेरी बातें मेरी बातों में
मिल मुझसे शरारतें
करवा रही है।
मुझे अल्हड सी
जिंदगी में धकेल रही है।
मुझे जिंदगी जीने का
हुनर सीखा रही है।
तेरी यादें तेरा ख़्याल
मेरी जिंदगी का
एक अहम् हिस्सा
बन गए है।
एक मजबूत इरादा
बन गए है।
आजकल मैं
तेरे ख़यालो के साँचें में
ढलती जा रही हूँ।
तेरे मजबूत इरादों में
संवरती जा रही हूँ।
तेरे नेक इरादों में
निखरती जा रही हूँ।
निखरती जा रही हूँ !!!
तेरे खयालों के साँचें में
ढलती जा रही हूँ।
तेरी हर बात में
सुर्ख़ मेहंदी बन
रचती जा रही हूँ।
अक्सर रात में चांदनी बन
मैं तुझे पीछे खिड़की से
झांकती हूँ।
और तेरे नर्म ख़यालो में
खुद को पा
निहाल हो जाती हूँ।
तुम अक्सर मुझे
नींदों में भी
आवाज़ देते हो।
क्यूँ भला?
मैं रोज़
आती तो हूँ।
तुम्हारे सपनों पर
अपना अधिकार
जमाने।
तुम्हें अपनी
पलकों पर रख
पूरी रात निहारती हूँ।
सच
कितने प्यारे
लगते हो तुम
जब कभी कभी
नन्हे बच्चे सा
मुस्कुराते हो।
और मेरी
उंगली थामे
सुकून की चादर में
लिपट फिर से
ख़याली दुनिया में
प्रवेश कर जाते हो।
सच मैं तुम्हें
यू ही अपलक
निहारती हूँ।
जैसे एक प्रेमी
अपनी प्रेमिका की
याद में
चाँद को निहारता है।
तारों संग बतियाता है।
और खुद के सवालों पर
खुद ही जबाब बन
छत पर खुले में
यू ही पसर कर
सो जाता है।
सच
उस पल तुम
मेरे बेहद
करीब होते हो।
मैं आजकल
सोती ही कहाँ हूँ।
तुम्हारे सपनो में आने की
तुम्हारी फ़रमाइश पूरी
करने में लगी रहती हूँ।
आजकल तुम मुझे
बहोत सताते हो
सारा दिन मुझे
हिचकिया आती रहती है।
मैं हिचकिया मिटाने के लिए
मिश्री और सौंफ
चबाती रहती हूँ।
पर तुम्हारी यादों की
कुटिया से बाहर
नहीं निकल पाती
सुनो तुम मुझे
यू परेशान न किया करो
कल चांद भी तुम्हारी
शिकायत कर रहा था।
कितना ताकते हो तुम उसे
और मेरी तुलना उससे कर
उसे परेशान करते हो
पगले हो तुम
अब तो चांद भी
मुझसे जलने लगा है।
कहता है।
अगर तुमने उसे ताक कर
परेशान किया तो
वो भी मुझे ताक कर
परेशान करेगा।
सुनो उसे परेशान
मत किया करो
नहीं तो मैं चांद
से चांदनी चुरा
तुम्हारे आंगन में
रात की रानी
नहीं खिला पाऊँगी।
सुनो
उस दिन जब तुमनें
हल्के से मेरी
हथेली को दबाया था। न
मैं उस ठंडे कमरे में भी
पसीनें से तर बतर हो गयी थी।
मेरी सांसे
ऐसे पिघल रही थी। जैसे
परबत से गिरते झरने में
पानी की बूंदे पिघलती है।
तुम और तुम्हारी यादें
आजकल मुझे
रुलाती भी बहोत है।
अगर किसी दिन
तुम्हारी खबर
दिन चढ़ने तक
नहीं आती तो
मन न जाने क्या क्या
सोचने लग जाता है।
कितनी घबराहट
होती है। मुझे
और तुम बेफिक्र
हंसी हंस देते हो
ज़रा नहीं सोचते
मैं कितनी परेशान
हुई हूँ।
तुम्हारी एक मुस्कुराहट
मेरे दिन को गुलाब सा
खिला देती है।
तुम्हारी एक हंसी
मेरी रात कटने का
बहाना बन जाती है।
आजकल मैं तुम्हें
जितना सुनती हूँ।
उतना कम लगता है।
पता नहीं।
आजकल ये क्या
हो रहा है।
सांसे पतंग
और जिस्म डोर सी
हवा में लहरा रही है।
तेरी बातें मेरी बातों में
मिल मुझसे शरारतें
करवा रही है।
मुझे अल्हड सी
जिंदगी में धकेल रही है।
मुझे जिंदगी जीने का
हुनर सीखा रही है।
तेरी यादें तेरा ख़्याल
मेरी जिंदगी का
एक अहम् हिस्सा
बन गए है।
एक मजबूत इरादा
बन गए है।
आजकल मैं
तेरे ख़यालो के साँचें में
ढलती जा रही हूँ।
तेरे मजबूत इरादों में
संवरती जा रही हूँ।
तेरे नेक इरादों में
निखरती जा रही हूँ।
निखरती जा रही हूँ !!!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें