सांसे........

तेरी आँखों की नींद में मैं घुली,
ख़्वाब बनकर
और तुम घुले,
मेरा सुकून बनकर।
तुम्हारी सांसो की पहरेदारी
में ही अब मुझे मेरी सांसो का
सुकून मिलता है।
तुम्हारी सांसो की जकड़न
में ही अब मुझे
मेरी सांसो की गति का
एहसास हो पाता है।
तुम्हारे हर मर्मस्पर्शी
सवाल पर मेरी सांसे
तुम्हारे सवालो में मिल
जी भर रो पाती है।
मेरी सांसो के हम प्याले
मेरे एहसासों के हम निवाले
बता ये हुनर
तूने सीखा कहाँ से?
नज़रो में रहते हो
पर नज़र नहीं आते।
ख़यालो में रहते हो
पर जिस्म से बाहर
नहीं आते।
मेरे होंठो में बुदबुदाते हो
पर मेरे होंठो से बाहर
नहीं निकलते।
"तुम्हारी सांसे मेरा सुकून
मेरी सांसे तेरा सुकून
नज़र आते है।
एक ख्याल के
दो परवाने नज़र
आते है।"
नजर आते है !!!








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