अहसास........

अहसास रिश्तों का,
कितना अनोखा, कितना प्यारा
जैसे नईया खेती जलधारा,
पवन में बहती सुरधारा,
हर रिश्ता अपनेआप में खोया,
पर अहसास में गूँथा रिश्ता,
हर पल दिल में धड़कता है।
मोज़ो की रवानी में,
गहरे सागर में जा मोती बटोरता है।
कितना अनोखा बंधन है। ये
जैसे लगता हर पल,
कोई कदमो से कदम मिला चल रहा है।
अहसास के नाज़ुक डोर में,
गाढ़े विश्वास की पक्की डोर
घुटी होती है।
अटी होती है। आसमानी सितारों से
बादलों के उड़नखटोले में संचित,
बिना अहसास के जीवन में,
खुशियों की कल्पना करना,
जैसे बिना शून्य का अक्षर,
हमेशा अधूरा सा, अकेला पड़ा हुआ
अहसास एक कल्पना,
लेकिन इस कल्पना के बिना,
कोई रिश्ता अपनी मंजिल
नहीं पा सकता। न दोस्ती,
न प्यार, न जीवन पर
खुद का अधिकार।
अहसास की ज़मी पर
कुछ भी बोओ
फ़सल हमेशा हीरे की तैयार होती है।
अहसास के बिना हर अहसास
कपोल/कल्पित, निराधार, स्वांग रचता सा
कभी/कभी सोचती हूँ,  हर अहसास में
घुल जाऊँ शहद सी,
हर अहसास समेट लू अपनी रगों में
दौड़ा दू इसे अपनी नस/नस में,
ये अहसास भी कितना अजीब है।
अहसास के घुटन में ही,
अहसास सांसे भरता है, जीवित रहता है।
अहसास मनो तो देवता ,
न मानो तो पत्थर,
बिना अहसास के कुछ भी संभव नहीं,
कुछ भी पूरा नहीं,
न ब्रह्मांड का सत्य,
न जीवन का अनुभव,
न इस संसार का नियम,
अहसास माने हर चीज की
गहन पराकाष्ठा,
सच्ची खुशी, सच्ची जीत का
उदगम् स्थल !!!













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