नशा महोब्बत का........

 रात तेरे ख़्वाबो में गुजरी,
दिन तेरे इंतज़ार में,
शाम तेरी तन्हाइयों के आँगन में,
बेक़रार दिल के नज़दीक आ के देख,
तेरे एक इशारे पर मर मिटने को
तैयार है। ये दिल
बस ज़माने की नज़रों से बचा कर
रखना इस इश्क़ को क्योंकी
मैं इसे काजल का टीका लगाना
भूल गयी हूँ।
यहाँ तो चाँद भी नज़रो का टीका
लगाता है, ज़मी पर उतरने से पहले।
मेरी सांसो के हर घूंट में तेरी महोब्बत
पकती है।
मेरे जिस्म के हर अंग में तेरी महोब्बत
खिलती है।
तू इश्क़ की दुनिया का बेताज बादशाह
मैं इश्क़ की दुनिया की कलम-स्याही।
अब उड़ने दे इश्क़ की महकती खुसबू
फिजाओं में.....बहकने दे बारिशों की
चंचल अदाओं में।
सफ़र कितना भी कठिन क्यों न हो,
डगर कितनी भी लंबी क्यों न हो,
वक़्त के दरिया में हम यू ही अपनी
कस्ती सम्हालेंगे,
जो आये तूफान तो एक-दूसरे की
पतवार सम्हालेंगे,
एक-दूसरे की जीवन नइया सम्हालेंगे,
तेरी महोब्बत का नशा भी क्या नशा है।
दीदार न हो तो तड़पन
दीदार हो जाये तो
नशा बेपनाह
नशा बेपनाह !!!







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