ख्वाइशें जिंदगी........

 इन फसलों की दूरिया मिट जाये
तो कितना अच्छा हो,
इन बदलती रितुओं में सिर्फ बसंत ठहर जाये
तो कितना अच्छा हो,
मैं तेरी परछाई बन तेरे साथ चलू
बस इतनी चाह मुझको,
मैं तेरी धुप में तेरा साया बन तेरे साथ चलू
बस इतनी चाह मुझको,
मैं तेरे ख़यालो में कई ख़्वाब बुनती हूँ
और फिर उन्हें चाँद-तारों से सजा कई
किस्से-कहानियां सुनती सुनाती हूँ,
मेरे नैनों की सुनहरी झील में तुम
मोती बन बसे हो, कमल बन खिले हो,
मेरी ऊँगली में तुम जड़ाऊ
हीरे की अंगूठी से फसे हो,
मेरे होंठो से तुम मधु की धारा से रिस्ते हो,
मेरी हँसी में तुम हरसिंगार के फूलों से झरते हो,
मेरी सोच में भी तुम पारदर्शी कांच के टुकड़े
बन समा गये हो,
अब तो मैं तुम्हे सोचती भी नहीं
फिर भी तुम पलकों पर
रात के चमकते जुगनुओं से आ
धमकते हो,
और मुझे अपनी बाहों के झूले में
झूला जाते हो,
"सांसो में रहकर तुम
मेरे मेहमान बन गए
बात कुछ ऐसी की
हमारी मुस्कान बन गए
पास रहकर भी लोग
हमारे न हो सके
और आप दूर रहकर भी
हमारी जान बन गए" !!!







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