तन्हाई........

 बेरंग आँसुओ सी जिंदगी।
ख़मोशी से वक़्त के दरिया में बहती है।
सोच के हाशिये पर हर पल कटती है।
सुबह उसकी अपनों की खुशी तलाशने में
और शाम तन्हाई के आंगन में बीतती है।
ऐ जिंदगी मुझे रुला मत,
मुझे चुप कराने वाला कोई नही।
क्यूँ वक़्त बेवक़्त मेरा इम्तिहान
लेने चली आती है।
मैं अकेली हूँ, मेरा इम्तिहान मत लिया कर।
जिसे मैं अपना मान लेती हूँ। वो मुझे
छोड़ कर चला जाता है।
ऐ जिंदगी मुझे रुला मत,
मुझे चुप कराने वाला कोई नहीं।
मैं बंजर ज़मी सी हूँ। मुझे
काले बादलों का लालच मत दिया कर।
मैं मंजिल की तलाश में काँटों भरी
पगडण्डी पर चलती हूँ। मेरे पांव में
कांटे मत चुभाया कर।
मेरे आंसुओ से मेरा बदन भीगा है।
मुझे सावन में भीगने का
ख़वाब मत दिखाया कर।
मेरे अश्क़ो में मेरे नैना बहते है।
मुझे सुरमा लगा
मेरे गालों को काला मत किया कर।
ऐ जिंदगी मुझे रुला मत,
मुझे चुप कराने वाला कोई नहीं।
मेरे पास दर्द की दौलत बहोत है।
मुझे दौलत का लालच
मत दिया कर। ऐ जिंदगी
मैंने अरमानों की कोठरी पर
वक़्त का ताला जड़ रखा है।
उसे खुली हवाओं में
उड़ने का लालच
मत दिया कर। ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी मुझे रुला मत,
मुझे चुप कराने वाला कोई नहीं !!!











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