वेदना......

तूफान उठा दिल में
आँसुओ के साथ रक्त बहा
आँखों से
जुबां खामोश
मुस्काई
मन ही मन
ऐसी टूटी
शायद ही जुड़ पाऊ
क्रोध का घूंट पी
मन को दफ़ना दिया
किसी पर यक़ी
न करने की
कसम खा
फुट-फुट रोइ
फिर बर्फ का
टुकड़ा रुमाल में लपेट
आँखों पर रख
यादों के समुंदर
में जब पैर रखा
जिस्म नमकीन हुआ
बर्फ के टुकड़े में दबी
आँखों से फिर
अश्क़ो की धारा
बहने लगी
मन बीहड़ में
भटक कर
रेतीला हुआ
खुले आकाश में उड़
समुंदर में गिर
शांत हुआ
बोझील मन
तड़प कर
हिम हुआ....!!!





















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