बरखा आई.......⛈⛈⛈

बरखा आई⛈⛈
हरियाली लाइ⛈⛈
जोड़, ताल तलाई⛈⛈
सब भर गए⛈⛈
बाग, बगीचे⛈⛈
नये हो गए⛈⛈
कागज़ की नइया⛈⛈
घर से बाहर आई⛈⛈
मौसम का लहराता रंग⛈⛈
इश्क़ पर सवार हुआ⛈⛈
चूड़ियों भरे हाथों पर⛈⛈
मेहँदी का श्रृंगार हुआ⛈
अमवा की डारी पर⛈⛈
झूले का आगाज़ हुआ⛈⛈
सबकी जिभवा पर⛈⛈
घेवर का स्वाद चढ़ा⛈⛈
सावन की झड़ी⛈⛈
ऐसी लगी⛈⛈
हर मन आनन्दित,⛈⛈
हर्षित हुआ !!!⛈⛈



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