तुम्हारे इंतजार में खुद से बातें करती मैं.....
अब तुम भी एक पाती लिख दो मेरे नाम....
बता तो दो मेरा कसूर क्या है।
मैं मन की धुप में खड़ी हो...
रोज तुम्हारा इंतजार करती हूँ। बिना नागा
पर तुम अमावश के चाँद से गायब रहते हो। अक्सर
आजकल तुम खुद से गुस्सा रहते हो या मुझसे...
पता ही नहीं चलता कुछ भी...
कितने बदल गए हो तुम...
तपते वन में अकेला छोड़ कहाँ चले गए हो।
मेरी आँखें तुम्हें ही ढूंढती रहती है। हर पल
मैं कपोल-कल्पित बातें नही करती...
जो महसूस करती हूँ वही बोलती हूँ।
तुम मानो या न मानो ये तुम्हारी मर्जी...
तुम मुझे गुलाब, मोगरा, केवड़ा, रात की रानी...
के खुसबू से निर्मल और चटटानों से मजबूत लगते हो।
तुम सोने से खरे, हीरे से विश्वशनीय, मोती से शांतिप्रिय...
बारिश की बूंदों से धरती की प्यास बुझाते से लगते हो।
तुम्हारा एहसास मुझे...
धान के खेतों में उगी कनक की बालियों सा लगता है।
जीवन निराशा में आशा की किरण सा लगता है...!!!
बता तो दो मेरा कसूर क्या है।
मैं मन की धुप में खड़ी हो...
रोज तुम्हारा इंतजार करती हूँ। बिना नागा
पर तुम अमावश के चाँद से गायब रहते हो। अक्सर
आजकल तुम खुद से गुस्सा रहते हो या मुझसे...
पता ही नहीं चलता कुछ भी...
कितने बदल गए हो तुम...
तपते वन में अकेला छोड़ कहाँ चले गए हो।
मेरी आँखें तुम्हें ही ढूंढती रहती है। हर पल
मैं कपोल-कल्पित बातें नही करती...
जो महसूस करती हूँ वही बोलती हूँ।
तुम मानो या न मानो ये तुम्हारी मर्जी...
तुम मुझे गुलाब, मोगरा, केवड़ा, रात की रानी...
के खुसबू से निर्मल और चटटानों से मजबूत लगते हो।
तुम सोने से खरे, हीरे से विश्वशनीय, मोती से शांतिप्रिय...
बारिश की बूंदों से धरती की प्यास बुझाते से लगते हो।
तुम्हारा एहसास मुझे...
धान के खेतों में उगी कनक की बालियों सा लगता है।
जीवन निराशा में आशा की किरण सा लगता है...!!!
सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएं