इंतजार...........

मेरे पलकें झपकाते ही...
मेरे सामने आकर क्यूँ खड़े को जाते हो?? तुम
क्या जताना चाहते हो?
की मैं तुम्हें भूल गई, या तुम मुझे भूल गए...
तुम्हारी यादों में मैं थी ही कहाँ? जो तुम मुझे भूलते...
लेकिन मेरी सांसो में तुम प्राणवायु से घुल गये हो...
अब सांसे जुदा होंगी तभी तुम जुदा हो पाओगे...।
कितने बुद्धिमान हो तुम?
जो ये इश्क़ भी सोच-समझ कर जाँच-परख कर करते हो...
और मैं पागल यु ही दिल लगा बैठी...
अब भुगत रही हूँ इसकी सजा...!
आजकल कोई अहसास भी नहीं होता है...।
कब दिन निकलता है...कब रात होती है...।
मेरी जिंदगी तो बस...यु ही गुजर रही है...।
तुम्हारी यादों में कविता लिखते हुए...
मैं संघर्षरत नन्हा पौधा, तुम विशाल स्तम्भ...!
मैं कैसे तुम्हें आलिंगन में बांध पाती? सोचो जरा...
तुम दुनिया वालों के धोखो से परेशान थे...। शायद इसलिए
मेरी मुस्कान पर भी तुमने शक़ किया...बोलो जरा क्यूँ?
तुम चाहतों की दुनियां के बेताज बादशाह...!
मैं कंपकपाती मृदु स्पर्श...
मैं तुम्हारी सहृदयता और ईमानदारी से,
बेहद प्रभावित हुई थी...।
पर तुम जिंदगी का स्वाद लेने में सब भूल बैठे थे...।
मैं जब भी तुम्हें फिर से याद दिलाती ये सब...
तुम कितना गुस्सा हो जाते थे...। बोलो जरा क्यूँ?
मुझे तुम्हारा आज भी उतना ही इंतजार है...।
जितना पहले होता था...।
तुम आओ न आओ...
मैं तुम्हारा इंतजार करती रहूँगी हमेशा...
हमेशा.....!!!












टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उस पार जाऊँ कैसे....!!!

पीड़ा...........!!!

एक हार से मन का सारा डर निकल जाता है.....!!