आज एक अजनबी बहोत याद आ रहा है....!!
बरखा की बूंदों में मेरा मन भीग रहा है...।
आंगन में झील उतर आई है...।
उसमें कागज़ की किस्तियाँ चलाने का मन कर रहा है...।
कमरे की छत से टपकती बूंदो में संगीत सुनाई दे रहा है...।
आज एक अजनबी बहुत याद आ रहा है...।
सागर समेटे मन में तूफान ला रहा है...।
मेरे कदमों के नीचे खुद के पद्चिन्ह बिछा रहा है...।
मेरे उम्मीदों के बक्से में खुद की उम्मीदें दबा रहा है...।
मेरी बेचैनी में खुद के ख़्यालात भर रहा है...।
मेरे नश्वर शरीर में खुद की आत्मा भर रहा है...।
मेरे जन्म-जन्मांतर की पहेली में.........
ये क्यूँ? आ रहा है...।
न किया था मैंने कोई वादा इससे......
ये फिर क्यूँ? आ रहा है...।
क्यूँ? आ रहा है...!!!
अजनबी के प्रेम
जवाब देंहटाएंका असर है जो निकल के बाहर आ रहा है ...
बहुत भावपूर्ण ...
धन्यवाद
हटाएंBahut hi sundar Kavita hai
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