रक्त-मिश्रित आंसू......!!!


आँखों से रक्त-मिश्रित नीर बह रहा है।
भावनाओं के समुन्दर में मन तड़प रहा है।

हर दृश्य में तू आ रहा है।
साँसों की गंध में भी तू समा रहा है।

हँसी की आड़ में पलकों से मोती ढलक रहे है।
आँचल के सितारों में जा छिप रहे है।

हृदय का हर कोना निर्जन-घाटी हो रहा है।
आंगन के सन्नाटे में यु ही डोल रहा है।

यादों का हर पन्ना तेरा विवरण मांग रहा है
सर्द हवाओं में जख़्म सा कुरेद रहा है।

मेरी छुअन को मेरे आंगन का गुलाब तड़प रहा है।
पर घाटी से उतरती धुप में रो रहा है।

मेरी झुंझलाहट में भी तू आ रहा है।
नैनो से गिरती जलधारा में भी नजर आ रहा है।

जंगल की अमरबेल सा मेरे जीवन में क्यूँ छा रहा है।
पागलों सा मेरे माथे पर क्यूँ नाच रहा है।

तेरा नाता तो बता क्या है? मुझसे
जो ये बार-बार, आ-जा रहा है।

वक्त की करवट में,
मुझे क्यूँ सता रहा है।
मेरी हर आहट में क्यूँ आ रहा है।

मेरी नजरों से गिरती पीड़ा में क्यूँ आ रहा है।
मुझे ख़्वाबो में भी क्यूँ रुला रहा है।
क्यूँ रुला रहा है!!!
















टिप्पणियाँ

  1. प्रेम का गहरा एहसास ... ऐसा होना स्वाभाविक है इस दर्द के सफ़र पर ...

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  2. https://www.shayari143r.ooo/2018/11/romantic-shayari-in-hindi-for-lover.html

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