कोई अर्थ नहीं.......!!!

कोई अर्थ नहीं
आहत मन के परिचय का
गगन के मध्य खड़े हो,
धरातल की बातें करने का।
बिना पानी में उतरे तैरने की बातें करने का।
खुद को नजरअंदाज कर,
दूसरों को खुश करने का।
अपने अश्क़ो को दूसरों के लिए जाया करने का।
जो आपकी जिन्दगी से जा रहा है। जाने दो पकड़ो मत
समझ लो वो आपके लिए नहीं बना था।
उससे बेहतर आपका इंतजार कर रहा है। यक़ी करों
अजनबी चेहरे पहचानने से क्या मिलेगा
पहले खुद की पहचान बना लो,
लोग तुम्हें खुद पहचान लेंगे।
बड़े नादान है वो लोग जो इस दौर में भी
वफ़ा की उम्मीद करते है।
भीड़ में खोकर, भीड़ से अलग होने की कहानी कहते है।
जिन लोगों के पास आपके लिए वक्त नहीं
उनसे वक्त नहीं मांगना चहिये।
अपनी वाणी की मधुरता को
किसी और के लिए कड़वी नहीं करनी चहिये।
क़िस्मत में हर रंग का धागा मौजूद है।
जिसे चाहो सुलझा लो, जिसे चाहो उलझा लो
जो न आये पसंद उसे वहीं पूर्णविराम दो
और आगे बढ़ जाओ।
नये सफ़र, नई मंजिल की तैयारी आज ही लो
अपने जीवन की एक नई सुरुआत आज ही कर लो!!!







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