ख़ामोश आंखे..........!!


ख़ामोश आंखे
कतरा-कतरा पिघलता मन
गहराता चेहरे का रंग
सुंदर सपना छूट गया हाथों से
नींद फिसल गई आँखों से
परिवर्तन किया खुद का
बेमतलब की जादुई बातें हवा की
कठोर सवाल कोमल किये
भटकते विचारों को विराम दिया
पृथ्वी सी सहनसील हुई
कोलाहल शांत किया
धैर्य की बुँदे माथे पर चमकी
चहल-कदमी कर शंकाओं को खदेड़ा
घूरती टिकटिकी से खुद को एकाग्रचित किया
गुस्से को धन्यवाद कर बाहर का रास्ता दिखाया
ख़ामोशी ओढ़ सवालों के जंजाल से बाहर आई
घुटन को शब्दों में कैद किया
उम्मीद का दिया जला
खुद पर भरोषा कर
सफ़र की अड़चने दूर की
खोजी मन को बांसुरी सुनाई
संगीत से मुलाकात करवाई
वातावरण सुगंधित किया
सीधा-साधा जीवन अपना
सबसे नाता तोड़ा
विचारों को विराम दे
उदास मन को
कलम की स्याही में डूबा
पन्नों पर बिखेर
वहीं टेबल पर सर रख
निंद्रा में विलीन हुई !!!



















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