चाहो न चाहो कोई फर्क नहीं पड़ता जिन्दगी है अपने हिसाब से चलेगी.......!!

चीख़ता दिन....
गूंगी रातें....
आसमां में चाँद-तारों की बातें,
लिखने को बहुत कुछ,
फिर भी कम पड़ रहे शब्द।
धूमिल यादें....
ताज़ा सपने....
सब कोरी बातें।
जिंदगी तो कटती है,
अपने हिसाब से।
कुछ मिले न मिले,
संघर्ष करते रहो,
वजूद की तलाश में लगे रहो।
निराशा से भी जान-पहचान कर लो,
खुशियों में न सही,
गमो में खुद से बतियाने के काम आएगी।
क्योंकी खुशियों के सौदागर बहुत है,
गमो में कोई पास भी न फटकेगा।
जीवन को बारीकी से जी लो,
फिर ये जीवन दुबारा न मिलेगा।
सिर्फ खुशियों की छांव मत तलाशो,
गमो की धुप भी अपनी छाती से लगा लो।
संजीवनी बूटी चाहिए तो,
पहाड़ उठाना भी सिख लो।
सफलता-असफलता....
सब जीवन का हिस्सा है।
सब को माथे से लगाना सिख लो,
कामयाबी का झंडा चहिये तो
शूल की चुभन भूल जाओ।
चाहो न चाहो कोई फर्क नही पड़ता।
जीवन का सफ़र है।
यु ही गुजरेगा
वक्त की धारा है।
अपने हिसाब से कटेगी!!

















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