उदासी ख़ास तौर पर मुझसे मिलने आई है........!!!

ऐसा लगता है।
उदासी ख़ास तौर पर
मुझसे मिलने आई है।
पीड़ित मन में 
फुट डाल
ईक्षा शक्ति हरने आई है।
निर्लज्ज भाषा से
अफ़सोस जताने आई है।
अंतमंन के टुकड़े-टुकड़े कर
दोहरी नीति चलने आई है।
समाज का डर दिखा
आत्मविश्वास नोचने आई है।
छद्म वेष-भूषा में
विचार रुग्ण करने आई है।
संस्कारो को
कुसंस्कारो में परिवर्तित करने आई है।
मौकापरस्त न बनने का
ताना मारने आई है।
चुपचाप ललकारने आई है।
चहरे पर नफ़रत का
मुखोटा ओढ़ाने आई है।
होंठो पर साजिश चिपका
आँखों में खारा पानी भरने आई है।
मुझे दुनियां को
दुनियां की तरह
न पहचान पाने का
ताना मार
आज की दुनियां का 
दोगला सच
सिखाने आई है!!!



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