विचारों की आँधी.......!!!

ग़मो को दफ़ना खुशियां चहकी है,
एक नया सवेरा बड़ी हिम्मत से,
नभ पर फ़ैल,
पृथ्वी की अपार वेदना को
उजाले की चादर से ढक
विश्वाश की डगर चला पाया है।
घर के आँगन का वो तुलसी का पौधा
रिश्तों की गर्माहट देख
मन ही मन मुस्कुरा रहा है।
निःशब्द अड़हुल का फूल
माता के चरणों में बैठ
सकूं पा रहा है!!

विचारों की आँधी क्या उड़ी
वाणी की मधुरता खो गयी
शब्द खुद ब खुद खाई में गिरने लगे
नम आँखों से मोती बिखरने लगे
फूल सा दिल
भारी विचारों में दब
जिस्म में दफ़्न हो गया!!













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