एक हार से मन का सारा डर निकल जाता है.....!!

एक हार आपके मन से सारा डर निकाल देती है।
फिर वो हार चाहे रिश्तों कि हो या किसी और चीज की
और जब डर निकलता है, तभी जीत हासिल होती है।
बाहर तो हम सभी घूमते है, क्या कभी मन में घूमे हो आप?
नहीं न, यही तो हमारी भूल है। दुनिया तो घूम आये पर
मन को तलाशना भूल गए, औरो के विचार ढोते-ढोते
हमारे खुद के विचार कहीँ खो गए।
रहस्य और रोमांच जीवन में होने चहिये पर इसके लिए
किसी और पर आश्रित क्यूँ होना।
जीवन की किताब है हम सब
जिसमें कुछ अच्छे कुछ बुरे विचार भरे है।
कुछ पन्ने खाली रह गए है, विश्वास कि कमी के कारण
जिसे हमें भरना है आत्मविश्वास से।
उम्र से लम्बा सफ़र है जिसे रोते-रोते क्यूँ पूरा करना।
एक यात्रा परिंदों सी करते है, बिना कल कि चिंता किये
आज उड़ान भरते है। राह में आये फूल, काँटों सबसे
हाल-चाल पूछते है।
कहते है उम्मीद से दुनिया चलती है,,
तो फिर हम जिन्दगी कि कठिनाइयों में अपनी उम्मीद क्यूँ
खो दे। दोस्ताना व्यवहार अपना कर एक नई जंग जीती
जा सकती है। हमारी जिंदगी बदल तो नहीं सकती पर
थोड़ा सा आत्मविश्वास डाल कर उसे बेहतर बना सकते है।
अपने डर को हरा एक नई रौनक जिन्दगी में ला सकते है।
हर बात में खुद को दोष न दे
कुछ नसीब का खेल मान कर 
सहजता से जीवन जी सकते है!!








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