नसीब को पी नसीब जी रहे है......!!

इस दुनिया में सिर्फ वक्त आपका अपना है,
वो सही तो सब सही वरना सब गलत।
ऊपर ईश्वर का आकाश..
नीचे उसकी धरती..
बीच में इमारतें गढ़ता इंसान
अनूठी कल्पनाएं, उम्दा सोच, नायाब विचार
संघर्षो में परिपक्व होता इंसान
गूंजता आत्मविश्वास पर..
दुविधाओं में तड़पता वर्तमान,
काल के मुख में समाती इंसानियत,
बगले झांकते दोगले रिश्तेदार,
रेलगाड़ी के डब्बे सी जिन्दगी,
बस पटरी पर दौड़ रही है।
उपहास में एहसास गवां चूका
ऊंघता विचार..
इंतजार मंजिल का.
पर सफ़र की धुप.
खत्म नहीं हो रही है।
वक्त//वक्त की बात है।
कभी इस राह कभी उस राह बस चल रहे है,
खुद का यक़ी दबा ग़ैरों का यक़ी कर रहे है।
उखड़ती नियति को,
झूठी दिलासा दे,
जीवन जी रहे है।
इंतजार किसी का नहीं
फिर भी सबका इंतजार कर रहे है।
सबको स्वीकार कर
खुद को ढूंढ रहे है।
अपराध कोई नहीं
फिर भी अपराध का दंश झेल रहे है।
वक्त के अनुरूप ढलने की कोशिश कर
वर्तमान को जी रहे है
नसीब को पी
नसीब जी रहे है!!








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