अपनी जीत पक्की करो आत्मविश्वास से...!!

निराश हुई जिन्दगी का मेहनताना क्या है?
शायद सिर्फ गम, आंसू, खुद को कोशते लफ़्ज
इससे क्या होगा जिन्दगी ठीक हो जायेगी क्या?
नहीं न,, कुछ खेल नसीब का तो कुछ खेल हमारे डर का,
आलस का होता है। बदले में मिलती है, निराशा।
चलो उठो अश्क़ो को पोछ मुस्कुराओ।
जो बीत गया वो कल था आज नहीं
खुद को एक मौका देकर देखो तुममें काबिलियत अब भी
बहुत है। बस दुनिया की सुन तुम निराशा गले लगा बैठे हो,
आगे बढ़ने का हौसला खो बैठे हो।
आगे बढ़ना है तो बहरे बन जाओ
मत सुनो लोगो की जो कहते है,
तुम कुछ नहीं कर सकते। दरअसल वो खुद की रेखा बता
रहे होते है, तुम्हारी नहीं।
पहचान बनानी है तो अकेले चलो और सिर्फ सहारा चाहिए
तो भीड़ में चलो ये तुम पर निर्भर करता है तुम्हे क्या चहिये।
जिन्दगी एक ही बार मिलती है, बार-बार नहीं।
या तो यू ही मर जाओ या इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो जाओ।
जो भी चीज चहिये उसमें अपना 100% दो फिर जीत पक्की है। असफलता के आगे सफलता है, इसलिए असफलता से
घबराओ मत। गिरो तो उठ जाओ जैसे एक बच्चा यू ही चलना
नहीं सिख जाता जाने कितनी बार गिरता है पर फिर उठ कर
चलता है और एक दिन खुद के पैरों पर चलना सिख जाता है।
अपनी निराशा को आशा में बदल दो
हार को जीत का स्वाद चखा दो
अपनी जीत पक्की करो आत्मविश्वास से!!







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