नर्म सर्दियाँ...

मौसम बदला
पहाड़ी नमी घर आई।
अंगीठी की आंच
मन को भाई।
ठंडे तापमान ने
साजिश रच
सबको धुप में खड़ा किया।

धरती ने धुंध की चादर ओढ़
सबको गर्मशॉल में दबोचा
जंगली सर्दी
घर के सारे खिड़की दरवाजे बंद कर
रजाई में दुबक कर
कांप रही है।

नर्म सर्दियां मुँह में स्वाद घोल
मक्के बाजरे की मोटी रोटी संग
गुड़, साग का स्वाद चख
गर्म राबड़ी पी
मौज मना रही है!!




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