अनकहा दर्द...!!!

उदास मन में पनपे उदासी भरे शब्द..
मुरझाई शाम के उदास गीत.
बीहड़ में भटकता लावारिस मन.
खूंटी पर टंगी यादें.
जिसे ताक-ताक रोता दिल।
सब कुछ पीछे छूट जाने की कसक.
भूमि-हीन मजदूर सी,
डबडबाई आँखों से
हाथ की लकीरें कोसता।
हर बंधन से मुक्त होना चाहता,
खुले मैदान में साँस लेना चाहता,
बरसात में भीग मिट्टी में दब जाना चाहता,
अपनी भावनाएं कह देना चाहता,
अपने हृदय का स्वर,
चीख़-चीख़..
सबको बता देना चाहता,
अभी मैं मरा नहीं जिन्दा हूँ।
मुझे थोड़ा सा प्यार दे दो.
थोड़ा सा अपनापन दे दो.
मुझे यूँ अकेला न करो.
मैं भी साँस लेता इंसान हूँ,
मुझे थोड़ा सा सम्मान दे दो!!

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