खारा इल्ज़ाम


रिश्ता दर्द का
ज़ख्मो को चीर
मन में चुभ गया।

खारा इल्ज़ाम
चुप-चाप
आँखों में भर
आँचल में छुप गया।

शौक जिन्दा
मन मर गया।

रेतीली आँधी में
कारवाँ जिन्दगी का
गुजर गया।

नज़रो का पीलापन
जिन्दगी को डस गया।

जमाना देखता रह गया
जिन्दगी अलमारी में
बंद हो गई।

नसीहतें मंजूर हो
निर्णय निगल गई।

टिप्पणियाँ

  1. नि: शब्द करती बहुत ही संवेदनशील रचना
    "खारा इल्ज़ाम चुप चाप आंखो में भर.....…"


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