पुकार मन की....

बाहर की पुकार हो या अंदर का निर्णय..
संकल्पों के द्वार शरीर मे,
मन को समझना जरूरी है।
सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण
सब हमारे अंदर ही तो होता है।
हमें संकल्पों के माध्यम से
सही का चुनाव करना पड़ता है।

शरीर, मन आत्मा
तीन चौराहे है जिसे पार कर
संसार जीतना पड़ता है।

दिशा और दशा
सब पहले से तय होते है।
हमें तो बस उत्साह का
सृजन करना पड़ता है।

अवसर तो मिल जाते है,
भरोसा रखिये खुद पर
कुछ टूट रहा है तो टूटने दीजिये
टूटने से ही नया अंकुरन निकलता है।

जिंदगी के हर सफ़र में,
मनुष्य होने का गौरव मनाइए
सम्मान के साथ
श्रम करते हुए
जीवन बिताइए।



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