एहसास....!!!

जिंदगी की किताब के पन्नें भर गए,
पर दिल खाली रह गया।

एहसास में हर रंग घुला,
पर अब एहसास श्वेत हो गया।

देखते-देखते वर्ष बीत गए,
पर समय अब भी वही ठहरा है!

गुल्लक भर ख़्वाब,
सुबह होते ही बिखर गए।

धूल चढ़ा आईना जो देखा,
सूरत अपरिचित लगी!

सूरज की रौशनी में दिन जल गया,
रात के अंधेरे में नींदे जल गई,
ये देख आदमी पथ भटक गया।
असली पोशाक उतार
नकली पोशाक पहन
कठपुतली का खेल दिखाने चल दिया!



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उस पार जाऊँ कैसे....!!!

प्यार के रूप अनेक

कौन किससे ज्यादा प्यार करता है??