मेरे मन के मीत... मेरी प्रीत तुम हो...!!!
अगर इस क्षण मैं तुम्हें सोचू तो तुम...
मेरे लिए पारस हो।
तुम संघर्षरत...
मेरे हृदय का लाल रंग हो,
जिससे मेरी सांसे चलती है।
तुम बहुत नर्म हृदय...
और प्रेमल हो।
जैसे फूल से भंवरा...
प्रेम करता है।
तुम बिल्कुल वैसे हो।
तुम मेरे चंद्राकार घाव पर...
मरहम हो।
जैसे ठंडी रातो में मैंने...
गर्म मखमली शाल लपेट लिया हो।
तुम मेरी आशा की किरण हो,
जो हर परिस्थिति में,
मेरी सहायता करता है।
तुम मेरे नेह से जुड़े...
मेरा स्नेह हो...
जिसे मैं हर पल गुनगुनाती हूँ।
तुम मेरा सावन, मेरा भादों भी तुम...
तुम मेरे आंसू, मेरी मुस्कान, मेरी हँसी...
सबमें शामिल हो।
जैसे फूलों में,
खुशबू शामिल है।
तुम मेरे मन के मीत...
मेरी प्रीत हो।
मेरी सांसे हो,
मेरा रक्त हो,
मेरे कण-कण में
तुम शामिल हो!!
मेरे लिए पारस हो।
तुम संघर्षरत...
मेरे हृदय का लाल रंग हो,
जिससे मेरी सांसे चलती है।
तुम बहुत नर्म हृदय...
और प्रेमल हो।
जैसे फूल से भंवरा...
प्रेम करता है।
तुम बिल्कुल वैसे हो।
तुम मेरे चंद्राकार घाव पर...
मरहम हो।
जैसे ठंडी रातो में मैंने...
गर्म मखमली शाल लपेट लिया हो।
तुम मेरी आशा की किरण हो,
जो हर परिस्थिति में,
मेरी सहायता करता है।
तुम मेरे नेह से जुड़े...
मेरा स्नेह हो...
जिसे मैं हर पल गुनगुनाती हूँ।
तुम मेरा सावन, मेरा भादों भी तुम...
तुम मेरे आंसू, मेरी मुस्कान, मेरी हँसी...
सबमें शामिल हो।
जैसे फूलों में,
खुशबू शामिल है।
तुम मेरे मन के मीत...
मेरी प्रीत हो।
मेरी सांसे हो,
मेरा रक्त हो,
मेरे कण-कण में
तुम शामिल हो!!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें